Translate
नन्हीं कोंपल सी कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नन्हीं कोंपल सी कविता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शुक्रवार, 20 मई 2011
गुरुवार, 24 मार्च 2011
इंतज़ार है बस
भरम में खड़े हैं शायद वो चलेंगे साथ दो कदम
तन्हा बुत से बने हैं उस पल का इंतज़ार है बस
रुके हैं वहीं जहाँ से शुरु किया था सपनों का सफ़र
हो जाए शायद उनपर मेरी सदाओं का कुछ असर
न हुए न होंगे कभी हमारे थे वो संगदिल सनम
दीवाने हुए थे यकीं था हमें भी मिलेंगे अगले जनम
सब्र कर लिया जब्त कर लिया बहते जज़्बातों को
पर कैसे रोकें दिल की दरारों से रिसते इस दर्द को........!
शनिवार, 28 मार्च 2009
कुछ मेरी कलम से भी ......
उम्र....
कोरे काग़ज़ जैसी
कभी हरकत करती उंगलियों सी
कभी काँपती कलम सी ..!!
उम्र .....
खाली प्याले सी
कभी लबालब झलकती सी
कभी आखिरी बूँद को तरसती सी... !!
उम्र.....
सिगरेट के धुएँ सी
कभी लबों से कई रूप लेती सी
कभी सीने में सुलगती सी.. !
उम्र.....
पतझर का मौसम भी
वक्त के पैरों तले
चरमराते चीखते पत्तों सी ....!!
रंजना जी की लेखनी का शुक्रिया जिसके कारण मेरी कलम भी कुछ कह उठी ..!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)

