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| प्यारी सी बेटी न्यूशा |
चंचल नैन
हर पल उड़ते हैं
पलकें पंख
गुलाबी से हैं
आज़ादी के नग़में
सुरीले सुर
खुतकार सी
ये उंगलियाँ रचें
तस्वीर नई
वीरान पथ
निपट अकेली मैं
कोहरा गूँगा
नीले सपने
गहरे भेद भरे
विस्तार लिए
साकी सा यम
मौत अंगूरी न्यारी
रूप खिलेगा/नशा चढ़ेगा/मोक्ष मिलेगा
मुत्यु प्रिया सी
इक दिन आएगी
गले मिलेंगे
(खुतकार=पेंसिल)












