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बुधवार, 19 नवंबर 2025
करनी का फल ( धंवंतरि)
भयानक राक्षस बोला, 'चुप कर मूर्ख...मुसाफिर बोला, ' इतना गुस्सा अच्छा नहीं होता...राक्षस बोला, 'तुम्हारी मौत मेरे हाथो लिखी है...मुसाफिर बोला यह तो भगवान ही जानते हैं कि किस की मौत किस के हाथो लिखी है. भयानक राक्षस उस मुसाफिर पर तलवार से वार करता है और मुसाफिर भी राक्षस पर टूट पड़ता है और राक्षस की तलवार से ही उसे मार डालता है.
भयानक राक्षस मरने से पहले कहता है कि तुम्हारे भगवान अच्छे है , मै बहुत बुरा हूँ मेरी और से अपने भगवान से मेरी गलतियो की माफी माँग लेना यह कह कर राक्षस मर जाता है.
शिक्षा -- इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमे पाप नही करना चाहिए क्योकि पुण्य की पाप पर सदा जीत होती है... यह तो सभी जानते है.... फिर पाप क्यो करते हो.... जिस प्रकार भयानक राक्षस को अपनी गलती का एहसास हुआ उसी प्रकार तुम्हे भी अपनी गलती का एहसास होना चाहिए . बस यही मेरी तरफ से आप को शिक्षा है.....ऋषभ धंवंतरि
(प्रिय ऋषभ आज 19 नवम्बर तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हारी लिखी एक कहानी को अपने ब्लॉग में फिर से पब्लिश कर रही हूँ जो अंबाला के अखबार में बहुत पहले छप चुकी है )
मंगलवार, 18 नवंबर 2025
डाक बक्सा ( To Letter Box)
To Letter Box
तेरा लाल रंग कहीं पीला पड़ा
तो कहीं काला और बदरंग हुआ
और तू
खाली खाली वीरान सा
खामोश खड़ा
शायद सोचता होगा
एक दिन
कोई तो आएगा और
ज़ंग लगा ताला तोड़ कर
फिर से आबाद कर देगा तुझे
लो आज तुम्हारी तम्मना पूरी हुई
आज सरहद को भुला कर
एक मियां बीबी आए
अपने खत औ खिताबत के साथ
प्यार मुहब्बत का पैगाम लेकर
सरहद वागा भी जी उठा
डाकिया बन कर
खतों की खुशबू फैलाने लगा
उनमें कहीं आंसुओं का खारापन
तो कहीं इश्क की खुशबू महकने लगी
यही नहीं हुआ डाक बक्से
अनगिनत एहसासों में डूबे लफ़्ज
भी जी उठे
और छा गई रौनक तुझ पर
सुर्ख हुआ समूचा वजूद तेरा
हो सके तो बताना , एहसास कराना
मुझे ही नहीं सारी कायनात को
खतो के जरिए मुहब्बत जगाना
इसे कहते हैं
खतो के जरिए मुहब्बत जगाना
इसे कहते हैं
इंतज़ार में
मीनाक्षी धन्वंतरि
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