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बुधवार, 17 सितंबर 2014

उतरते सूरज की कहानी...



हर शाम जाते सूरज की बाँहों से
 किरणें मचल कर निकल जातीं...
नन्हीं रंगबिरंगी सुनहरी किरणें 
बादलों के आँचल से लिपट जातीं...








गुस्से में लाल पीला होता  
सूरज उतरने लगता आसमान से नीचे
गहराती सन्ध्या से सहमे बादल
 धकेल देते किरणों को उसके पीछे 

  
  


शनिवार, 20 अप्रैल 2013

सूरज और पौधे




सूरज

आसमान से नीचे उतरा
धरती के आग़ोश में दुबका
ध्यान-मग्न पौधों का ध्यान-भंग करता
हवा के संग मिल साँसे गर्म छोड़ता

पौधे

एक पल को भी विचलित न होते
झूम-झूम कर फिर से जड़ हो जाते...
फिर से होकर लीन समाधि में
सबक अनोखा सिखला जाते 


शनिवार, 28 मार्च 2009

कुछ मेरी कलम से भी ......
















उम्र....
कोरे काग़ज़ जैसी
कभी हरकत करती उंगलियों सी

कभी काँपती कलम सी ..!!

उम्र .....
खाली प्याले सी
कभी लबालब झलकती सी
कभी आखिरी बूँद को तरसती सी... !!



उम्र.....
सिगरेट के धुएँ सी
कभी लबों से कई रूप लेती सी
कभी सीने में सुलगती सी.. !

उम्र.....
पतझर का मौसम भी
वक्त के पैरों तले
चरमराते चीखते पत्तों सी ....!!

रंजना जी की लेखनी का शुक्रिया जिसके कारण मेरी कलम भी कुछ कह उठी ..!