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रविवार, 30 सितंबर 2007

ऐसी शक्ति मिले !

ख़ूने आँसू बहेँ तब भी आँखेँ हँसेँ तो क्या कहना
ज़हर पीते रहेँ, मुस्कराते रहेँ तो क्या कहना ..
ऐसी शक्ति मिले तो क्या कहना !
साँस घुटने लगे ज़िन्दगी चलती रहे तो क्या कहना
हवा चलती रहे , दीप जलते रहेँ तो क्या कहना ...
ऐसी शक्ति मिले तो क्या कहना !
जीवन पथ मेँ अँगारे सजेँ, पग-पग मेँ कंटक जाल बिछेँ
लथपथ लहू से, पग बढ़ते रहेँ तो क्या कहना ....
ऐसी शक्ति मिले तो क्या कहना !

बुधवार, 12 सितंबर 2007

खिलने दो खुशबू पहचानो



खिलने दो, खुशबू पहचानो
महकी बगिया कहती है सबसे
न तोड़ो, खिल जाने दो
इस जग में पहचान बनाने दो।

खिलती कलियों की मुस्कान को जानो
आकाश को छूते उनके सपनों को मानो
खिलने दो खुशबू पहचानो
महकी बगिया कहती है सबसे।

कण्टक-कुल से भरे कठिन रस्ते हैं इनके
फिर भी कुछ करने की चाह भरी है इनमें
न तोड़ो खिल जाने दो
इस जग में पहचान बनाने दो।

जीवनदान मिले तो जड़ भी चेतनमन पाए
जगती का कण-कण शक्तिपुंज बन जाए
खिलने दो खुशबू पहचानो
महकी बगिया कहती है सबसे।

न तोड़ो खिल जाने दो
इस जग में पहचान बनाने दो
महकी बगिया कहती है सबसे
खिलने दो, खुशबू पहचानो।