| रियाद में अपने घर की खिड़की से ली गई तस्वीर |
सड़क के उस पार शायद कोई मजदूर बैठा है
कड़ी धूप में सिर झुकाए जाने क्या सोचता है...
मैं खिडकी के अधखुले पट से उसे देखती हूँ
जाने क्या है उसके मन में यही सोचती हूँ ..
कुछ देर में अपनी जेब से पर्स निकालता है
शायद अपने परिवार की फोटो निहारता है
बहुत देर तक एकटक देखता ही रहता है
कभी होठों से तो कभी दिल से लगाता है
जाने कितने सालों से घर नहीं गया होगा...
अपनों को याद करके कितना रोया होगा..
विधाता ने किस कलम से उनका भाग्य लिखा...
एक पल के लिए दुखी होती हूँ ------
दूसरे ही पल मुझे वह -------
हर बाधा से जूझता एक कर्मयोद्धा सा दिखा..!!