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शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2007

तुम



फूलों से खूशबू पाकर , जीवन में महकना तुम
काँटों से ताकत पाकर, दुखों से लड़ना तुम !

हार शब्द को याद कभी न रखना तुम
कठिन पलों को हँस कर गुज़ारना तुम !

वक्त को अपनी मुट्ठी में बंद रखना तुम
रेत सा कभी हाथ से जाने न देना तुम !

गए वक्त की यादों को संजोए रखना तुम
आए वक्त का मुस्कान से स्वागत करना तुम !


कड़वे अतीत को प्यार से सदा याद करना तुम
मीठे भविष्य का सुन्दर सपना तैयार करना तुम !

( आज के दिन यह कविता परिचित- अपरिचित सभी लोगों के नाम )