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गुरुवार, 27 अगस्त 2009

'प्रेम ही सत्य है' ब्लॉग का जन्मदिवस



मोबाइल का अलार्म बजते ही सन्देश पढ़ा कि आज हमारे छोटे भाई के बेटे समर्थ का जन्मदिन है और अनायास याद आ गई अपने ब्लॉग़ की जिसका जन्म भी आज के ही दिन(27 अगस्त 2007) हुआ था... समर्थ सात साल का हुआ है और ब्लॉग मात्र दो साल का नन्हा सा बालक है जो दो साल का लगता नहीं... लेखन रूपी पौष्टिक आहार न मिलने के कारण कमज़ोर है.... कमज़ोर होने के कारण किसी भी काम में बढ़चढ़ कर भाग न ले पाने के कारण किसी का ध्यान उस बालक पर कम ही जाता है...

सच कहूँ तो इस बालक के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए ब्लॉग-परिवार के कई सदस्यों ने चिंता व्यक्त की.... पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन (लेखन सामग्री) द्वारा ब्लॉग के पालन पोषण पर ज़ोर दिया....

कुछ मित्रों ने लिखने के लिए प्रेरित किया तो कुछ के लेखन से प्रेरणा मिली.... आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद...

सभी का ज़िक्र करने की इच्छा है लेकिन कमज़ोर ब्लॉग बालक को कुछ समय चाहिए.... सेहत में सुधार आते ही... यानि लेखन नियमित होते ही ऐसा करने का विचार है.... !!

रविवार, 7 सितंबर 2008

एक साल का नन्हा सा चिट्ठा

एक डाल पर बैठा पंछी पंखों को खुजलाए
आसमान में उड़ने को जैसे ललचाए ....
की-बोर्ड का मन भी मस्ती से लगा मचलने
जड़ सी उंगलियाँ मेरी तेज़ी से लगीं थिरकने ....
मेरा चिट्ठा जैसे अभी कल ही जन्मा था
आज एक साल और दस दिन का भी हो गया........
घुटनों के बल चलता बालक जैसे रूठे, फिर ठिठके
वैसे ही खड़ा रहा थामे वक्त को .....
एक कदम भी आगे न बढ़ा
बस
अपने जैसे नन्हे बालक को देखता रहा
मुग्ध होता रहा ......
मोहित तो मैं भी थी उस नन्हे बालक पर
जो आया था ईरान से .....
तीन साल का नन्हा आर्यान हिन्दी से प्यार करता
हाथ जोड़कर नमस्ते कहता तो सब मंत्रमुग्ध हो जाते......
बड़ा बेटा वरुण भी उन्हीं दिनों इंजिनियर की डिग्री लाया
छोटे बेटे विद्युत ने अपने मनपसन्द कॉलेज में प्रवेश पाया ....
अर्दलान जो नन्हे आर्यान का बड़ा भाई , उसे भी नई दिशा मिली
गीत गाते गाते अपने देश से दूर विदेश में पढ़ने की सोची.....
बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में व्यस्त माता-पिता
पल भर भी न रुकते , बस चलते ही जाते जीवन पथ पर
एक सितम्बर आई तो दोनों हम साथी इक पल को रुके .....
जीवन पथ पर जीवन साथी बन कर बाईस साल चले हम
चलते चलते कब और कैसे इक दूजे के सच्चे दोस्त बने हम .....
और जीने का मकसद पाया, रोते रोते हँसने का हुनर भी आया .......

एक साल का नन्हा सा चिट्ठा भी मुस्काया
छोटे छोटे पग भरता मेरी बाँहों में दौड़ा आया .....