उड़नतश्तरी की आज की पोस्ट ने इस गीत की याद दिला दी .....यह गीत सुन रहे है जो समीरजी की आज की पोस्ट पर सही लगा.....आप भी सुनिए लेकिन वहाँ से लौटते हुए ..... अबूझमाड़! --- मात्र यह टिप्पणी किस ब्लॉगर का हो सकती है....यह भी बताइए.....
देखोजोगौरसे
चेहरे के पीछे भी – 2 चेहरा है सोचो जो गौर से पर्दे के पीछे भी – 2 पर्दा है गहरा गहरा राज़ गहरा बड़ा किसके दिल में है क्या किसे पता – 2 0000000......
देखो जो गौर से चेहरे के पीछे भी – 2 चेहरा है सोचो जो गौर से पर्दे के पीछे भी – 2 पर्दा है गहरा गहरा राज़ गहरा बड़ा किसके दिल में है क्या किसे पता – 2 000000.......
डूबा कोई सोच में, कोई धन दौलत से यहाँ मगरूर है कोई फसाँ चाल में, कोई तो शोहरत से यहाँ मश्हूर है जुदा सबकी मज़िले, जुदा सबकी राहें जुदा सबकी चाहतें जुदा गहरा गहरा राज़ गहरा बड़ा किसके दिल में है क्या किसे पता – 2 0000000.....
टूटा नशा प्यार का, झिलमिल शमाँ जो जल रही बेनूर है झूठा यकीन यार का, लोगों ज़माने का यही दस्तूर है ज़रा सी है बेअसर दिलों की आहें, वफा में भी तो है ज़फा गहरा गहरा राज़ गहरा बड़ा किसके दिल में है क्या किसे पता – 2
रक्षाबन्धन के दिन सुबह से ही 'मेरे भैया , मेरे चन्दा' गीत गुनगुनाते हुए आधी रात हो गई....... 11 साल की थी मैं जब नन्हा सा भाई आया हमारे जीवन में .......अनमोल रतन को पाकर जैसे दुनिया भर की खुशियाँ मिल गई हों....
मेरे भैया , मेरे चन्दा मेरे अनमोल रतन तेरे बदले मे ज़माने की कोई चीज़ ना लूँ
तेरी साँसों की कसम खाके हवा चलती है तेरे चेहरे की झलक पाके बहार आती है इक पल भी मेरी नज़रों से तू जो ओझल हो
हर तरफ मेरी नज़र तुझको पुकार आती है मेरे भैया , मेरे चन्दा मेरे अनमोल रतन तेरे बदले मे ज़माने की कोई चीज़ ना लूँ
तेरे चेहरे की महकती हुई लड़ियो के लिए अनगिनत फूल उम्मीदों के चुने है मैने वो भी दिन आए कि उन ख्वाबो की ताबीर मिले तेरे खातिर जो हसीं ख्वाब बुने है मैने...
मेरे भैया , मेरे चन्दा मेरे अनमोल रतन तेरे बदले मे ज़माने की कोई चीज़ ना लूँ
घर की सफाई और सफर की तैयारी में लगे हैं.. अपनी पेकिंग करते करते अज़ीज़ नाजा की एक कव्वाली सुन रहें हैं... जो हमें बहुत अच्छी लगती है .... दरअसल इसके बोल तो बहुत पहले ही लिख कर रखे थे... लेकिन कभी मौका ही नही मिला कि पोस्ट बनाई जाए... आज काम के बाद के आराम के पलों में वक्त हाथ में आया तो पोस्ट पब्लिश कर दी.... सोचा हम ही क्यों आप भी लुत्फ़ लें....
हम जहाँ हैं वहाँ शौहर या शौफर ही बाहर ले जा सकते है.... दोनो बेटों को बारबर शॉप ले जाने की बात हुई तो विद्युत ने हमें लैप टॉप के सामने बिठा दिया और आँखें बंद करने को कहा.... कानों में हेड फोन लगा कर आँखें बंद करने को कहा ...... बस हम पहुँच गए बारबर शॉप ....आप भी घर बैठे बैठे ही नाई की दुकान जा सकते हैं......
अरे रुकिए.... क्लिक न करिये.. ..
नाई की दुकान में अन्दर जाने से पहले आपके कानों में हेड फोन होने चाहिए...
पहले हेड फोन लगाईये ..... आवाज़ को सेट कीजिये.. कर लिया ??