सामने से उसे आते देख मैं चौंक गई
सुन्दर, सौम्य, मुस्काती नम्र नम आँखें
चाल में शालीनता, चेहरे पर नहीं मलिनता
किसी ने कहा - "देखते ही पता चलता है
वह घमण्डी है, नकचढ़ी है!"
किसी ने कहा - " नहीं नहीं , वह गूँगी है,
उसे बोलना ही नहीं आता है !"
किसी ने कहा - "कछुए की तरह सदा अपने
कवच में छिपी रहती है !"
किसी ने कहा - "हीन भावना से ग्रस्त शायद
निर्धन घर की लड़की है !"
किसी ने कहा - "बन्द किताब का वह एक
कोरा पन्ना है !"
लेकिन
किसी ने नहीं कहा था - "वह भावुक संवेदनशील
ह्रदय वाली है !"
किसी ने नहीं कहा था - "उसका मन शीशे जैसा
बेहद नाज़ुक है !"
किसी ने नहीं कहा था - "वह मानव के छल-कपट
से आहत है!"
किसी ने नहीं कहा था - " वह प्रेम रस पीने को
व्याकुल है!"
सामने से उसे आते देख मैं समझ गई !
इन आँखों को पढ़ना बहुत मुश्किल है !
पढ़ लिया तो फिर समझना मुश्किल है !
समझ लिया तो फिर भूलना मुश्किल है !
सुन्दर, सौम्य, मुस्काती नम्र नम आँखें
चाल में शालीनता, चेहरे पर नहीं मलिनता
किसी ने कहा - "देखते ही पता चलता है
वह घमण्डी है, नकचढ़ी है!"
किसी ने कहा - " नहीं नहीं , वह गूँगी है,
उसे बोलना ही नहीं आता है !"
किसी ने कहा - "कछुए की तरह सदा अपने
कवच में छिपी रहती है !"
किसी ने कहा - "हीन भावना से ग्रस्त शायद
निर्धन घर की लड़की है !"
किसी ने कहा - "बन्द किताब का वह एक
कोरा पन्ना है !"
लेकिन
किसी ने नहीं कहा था - "वह भावुक संवेदनशील
ह्रदय वाली है !"
किसी ने नहीं कहा था - "उसका मन शीशे जैसा
बेहद नाज़ुक है !"
किसी ने नहीं कहा था - "वह मानव के छल-कपट
से आहत है!"
किसी ने नहीं कहा था - " वह प्रेम रस पीने को
व्याकुल है!"
सामने से उसे आते देख मैं समझ गई !
इन आँखों को पढ़ना बहुत मुश्किल है !
पढ़ लिया तो फिर समझना मुश्किल है !
समझ लिया तो फिर भूलना मुश्किल है !
12 टिप्पणियां:
समझ लिया तो भूलना मुश्किल है..शायद इसलिये कोई समझना नहीं चाहता ।
याद भी तो रख सकते हैं....।
कहा था - "वह भावुक संवेदनशील
ह्रदय वाली है !"
बढिया चित्रण दोनो भावनाओं का । धन्यवाद ।
www.aarambha.blogspot.com
हर आदमी वही समझता है - जो उसके अन्दर होता है।
कविता के भाव और शब्द चित्रण दोनों ही बहुत अच्छे है. और दो टिप्पणिया ऐसी भी है जो कि आपकी कविता कि तरह जबरदस्त है.
१> Beji said...
याद भी तो रख सकते हैं....।
२> Gyandutt Pandey said...
हर आदमी वही समझता है - जो उसके अन्दर होता है।
सही है। क्या सही है ये हम न बतायेंगे।
सुंदर चित्रण!!
पैले इन आंखो की मालकिन कहीं दिखे और मिले तब बता पाऊंगा कुछ ;)
क्या बात है.. बहुत सुन्दर!
who are you talking about..??
is it not you yourself....
कल 14/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सबसे पहले हिंदी दिवस की शुभकामनायें /
बहुत ही सुंदर और गहन सोच को उजागर करती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको /
मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी पर आपका स्वागत है /
http://prernaargal.blogspot.com/2011/09/ke.html/
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