अभी अभी टी.वी. पर सदा के लिए बिछुड़े अपने बेटे के लिए शेखर सुमन जी की आँखें नम होते देखीं, इसी के साथ याद आया नीरज जी और 21 वर्षीय दीपक जो आशुतोष 'मासूम' के छोटे भाई हैं, उनका असमय इस दुनिया से विदा हो जाना.
जो इस दुनिया से चले जाते हैं उनके लिए शायद मृत्यु नव जीवन पाने का प्रकाशपुंज सा है लेकिन मृत्यु अंधकार से भरा कोई शून्य-लोक उनके लिए बन जाता है जो पीछे रह जाते हैं.
हम अपने प्रियजनों को सदा के लिए खोकर गहरी पीड़ा के अन्धकार में डूब जाते हैं. मुझे आज भी याद आता है पापा का हमें छोड़ कर चले जाना ऐसा दर्द दे गया था जो एक पल भी सहन नहीं होता था. अपने देश से दूर , अपनों से दूर उस दर्द को सहने का एकमात्र उपाय मिला अंतर्जाल पर एक लिंक जिसे पढकर या उसमें कुछ संगीतमय वीडियो देखकर मन शांत होता.
सोचा कि आपसे दिल मे उठे दर्द को दूर करने का उपाय बाँटा जाए.
http://www.selfhealingexpressions.com/goddess_meditation.html
( नारी किसी भी रूप में आने वाले कष्टों को दूर करने में सहायक होती है)
http://www.selfhealingexpressions.com/starshine.html
(विस्तृत आकाश में अनगिनत तारों को देखकर मन अजीब सी शांति पाता है)
http://www.selfhealingexpressions.com/earth_meditation.html
(प्रकृति के साथ जुड़ने पर भी शांति और शक्ति मिलती है )
8 टिप्पणियां:
बहुत-बहुत धन्यवाद इन कडियो के लिये।
कड़ियों का टूटना, बिखरना ही जीवन क्रम है। बिछोह मे दुख अपार है मगर फिर भी संसार है। प्रभु ने स्मृति दी है तो सब अच्छा ही याद रह जाता है। कड़ियों के लिए धन्यवाद ..
उम्र के साथ-साथ इस प्रकार के दुखों का सन्ग्रह भी बढ़ता जा रहा है।
असमय अपनों का विछोह कभी कभी जीवन के प्रति विरक्त कर देता है,मन मे भय पनप जाता है ,परन्तु जीवन है ,रूकता कहाँ है किसी के लिये । आगे आने वाली लहर पीछ्ली सभी लहरों को दबा कर आगे और आगे हमें बहा ले जाती है। कड़ियाँ बहुत अच्छी लगी,्दी
किसी अपने का हमेशा हमेशा के लिये अचानक छोड़ कर चले जाना क्या होता है ये तो मैं ही जानती हूँ। मेरे ब्लॉग पर कभी कभि ये दुःख छलक भी पड़ता है।
http://kanchanc.blogspot.com/2007/09/blog-post_11.html
http://kanchanc.blogspot.com/2007/08/blog-post.html
शुक्रिया इन कड़ियों के लिए!!
सार्थक लिंक
बहुत अच्छा लिंक दिया… धन्यवाद स्वीकार करें।
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