Source Unknown |
हालाँकि कहा जाता है कि किसी भी सफर को समय पर लिखित रूप में दर्ज कर लिया जाए तो अच्छा रहता है... फिर भी पूरी कोशिश करूँगी कि पुरानी यादों को उसी खूबसूरती से यहाँ सजा सकूँ .....ईरान के सफ़र की दो पोस्ट लिख चुकी हूँ लेकिन वह तो सिर्फ भूमिका ही थी....विस्तार तो अभी देना बाकि था.... इस सफ़र का हर सफा खूबसूरत है....
मेरे लिए बहुत ज़रूरी है अपने लोगों को उस देश के आम लोगों के दिल की खूबसूरती दिखाना ...अलग देश, धर्म , जाति, भाषा , खानपान और रहनसहन के दो इंसानों में कुछ पलों की दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो जाएगी सोचा नहीं था... लेकिन दो दोस्त ही नहीं बने ... दोनों के परिवारों में भी उतना ही प्यार मुहब्बत हुआ......
पहली पोस्ट -
मानव मन प्रकृति की सुन्दरता में रम जाए तो संसार की असुन्दरता ही दूर हो जाए। प्रकृति की सुन्दरता मानव मन को संवेदनशील बनाती है। हाफिज़ का देश ईरान एक ऐसा देश है जहाँ प्रकृति की सुन्दरता देखते ही बनती है। सन 2002 में पहली बार जब मैं अपने परिवार के साथ ईरान गई तो बस वहीं बस जाने को जी चाहने लगा। एक महीने बाद लौटते समय मन पीछे ही रह गया।
दूसरी पोस्ट -
ईरानी लोगों का लखनवी अन्दाज़ देखने लायक होता है. हर बार मिलने पर झुक कर सलाम करते-करते बहुत समय तक हाल-चाल पूछना हर ईरानी की खासियत है. 'सलाम आगा'-सलाम श्रीमान् 'सलाम खानूम'-सलाम श्रीमती 'हाले शोमा चतुरी?'-आपका क्या हाल है? 'खूबी?'-अच्छे हैं, 'शोहरे शोमा खूबी?'- आपके पति कैसे हैं?, 'खानूम खूबे?'- श्रीमती कैसी हैं?', 'बच्चेहा खूबी?'-बच्चे ठीक हैं? 'खेली खुशहाल शुदम'- बहुत खुशी हुई मिलकर 'ज़िन्दाबशी' – लम्बी उम्र हो,
पहली पोस्ट में लिखा था कि विजय ऑफिस के किसी काम से रियाद ही रुक गए थे.. ईरान के लिए पहली बार विजय के बिना ही दोनों बेटों के साथ पहुँची थी.. तेहरान एयरपोर्ट पर दोस्त अली पहले से ही इंतज़ार में खड़े थे....यहाँ बता दूँ कि अली और लिडा को पहले अपने देश में मिल चुके थे... दोनों की इच्छा थी ताजमहल देखने की ...उस सफ़र के सफ़े को फिर कभी खोलूँगी.....
कार में सामान रख कर निकले अगले सफ़र के लिए.....तेहरान से रश्त 300 किमी की दूरी कार से तय करनी थी.....रास्ते में बर्फबारी हुई तो छह सात घंटे भी लग सकते थे.....हरे भरे पहाड़.... उनमें से निकलती खूबसूरत लम्बी चौड़ी सड़कें.... बीच बीच में लम्बी लम्बी सुर्ंगे... जिनमें से गुज़रते हुए कार की लाइटस ऑन करनी पड़ती थी.... अपना कश्मीर भी कम खूबसूरत नहीं है...लेकिन एक नए अंजान देश की खूबसूरती भी मन मोह रही थी....
रास्ते में छोटे छोटे शहर आए... सड़क के किनारे अलग अलग चीज़ों से सजी दुकानें मन में उत्सुकता जगा रही थीं कि क्या क्या रखा होगा उनमें....अब पहली बार आना हुआ था सो थोड़ी झिझक भी हो रही थी कि पूछें या नहीं.....हम अभी सोच ही रहे थे कि उन्होंने खुद ही बतलाना शुरु किया...
"शीशे और प्लास्टिक की बोतलों में सिरका है और उनमें साबुत लहसुन है... जितना पुराना होगा उतना ही दवा का काम करेगा..फारसी में सिरका को सिरकेह कहते हैं और लहसुन है सीर.. .कुछ बोतलों में अखरोंट और अनार जूस के पेस्ट में बिना गुठली के जैतून हैं"..अखरोट को गेर्दु कहते हैं लेकिन अनार और जैतून हमारी भाषा जैसे ही हैं.... .दिल किया अभी खरीददारी शुरु कर दें...लेकिन कार रुकवाएँ कैसे.... खैर चुपचाप सुन कर मन ही मन कल्पना कर रहे थे करके कि कैसा स्वाद होगा.....
कार में ईरानी गीत बज रहे थे जिन्हें सुनकर दिल और दिमाग को एक अजीब सा सुकून मिल रहा था...हालाँकि बोल कुछ कुछ ही समझ आ रहे थे लेकिन कुल मिला कर ईरानी संगीत ने दिल को छू लिया.....
सफ़र के नए सफे के खुलने तक फिलहाल उस सफ़र के दौरान का हमारा सबसे पसन्दीदा गीत सुनिए.....
pouya - safar.mp3
11 टिप्पणियां:
सफर के साथ वासतविक चित्र भी होता तो अच्छा था।
सही शुरुवात.,...जारी रहिये.
अच्छा लगा पढ़कर. ईरानी गीत भी बहुत सुंदर है.
इत्मीनान से इरान वाली दोनों पोस्ट पढूंगा, शायद शाम में..उत्सुकता बन गयी मेरी भी.
थोडा और विस्तार दें। बहुत संक्षिप्तीकरण हो गया है।
वो कहते हैं ना...प्यास बढ़ा दी...झलक दिखला के
कुछ ऐसा ही हाल हुआ....जल्दी ही अगली पोस्ट डालिए..अपनी फेवरेट किताब से इरान को बहुत नज़दीक से जाना है .
बढ़िया विवरण, उन्मुक्तजी की बात पर ध्यान दिया जाय.
@उन्मुक्तजी...अगली पोस्ट में तस्वीरें लगाते हैं..
@समीरजी...शुक्रिया..
@काजलजी..सुनकर अच्छा लगा कि आपको भी गीत पसन्द आया...
@अभि...पिछली पोस्ट पढ़कर बताना ज़रूर..
@अजितदी..सही कहा आपने, गलती यह हो गई कि हमने दो पोस्ट के लिंक देने के बाद जैसे छुट्टी पा ली.. अगली बार से ध्यान रखेंगे..
@रश्मि...याद आया आपने बताया था लेकिन शायद हर देश में अच्छे बुरे हर तरह के लोग होते हैं..
@अभिषेक..उन्मुक्तजी की बात सौ फीसदी सच है......अगली बार तस्वीरों के साथ पोस्ट होगी..
पर्सियन सभ्यता की झलक और उसको जानने की उत्कंठा यहाँ ले आयी . इंतजार करते है .
अच्छा लगा पढ़कर| धन्यवाद|
एक टिप्पणी भेजें