बेटे वरुण को नाश्ता देकर सोचा कि चलो बाहर की ताज़ी हवा खाई जाए लेकिन यह क्या...घर की एक चाबी तो छोटा बेटा विद्युत अपने साथ ले गया है. इधर उधर ढूँढने के बाद पता चला कि दूसरी चाबी तो कार में ही रह गई. अब... क्या किया जाए... बेटा तो बैठ गया था डैस्कटॉप पर..हम ललचाई नज़र से देखते हुए एक कप चाय और अखबार लेकर बाल्कनी में आकर बैठ गए.
ईरानी मित्र अब परिवार का एक हिस्सा सा बन गए है इसलिए ईरान की खबर पर नज़र जाना स्वाभाविक है. एक भारतीय और एक ईरानी परिवार की दोस्ती ने कब रिश्ते का रूप ले लिया पता ही नहीं चला. इस बारे में इरान का सफर में कुछ लिखा है और आगे भी विस्तार से लिखने का इरादा है.
सबसे पहले मौसम का हाल देखा, ईरान ही नहीं पूरी दुनिया के पर्यावरण को बदलते देख कर मन चिंतित हो गया. चालीस साल का रिकोर्ड तोड़ती बर्फ ने ईरान के लोगों को तोड़ कर रख दिया है. सफर करते हज़ारों लोग सड़कों पर हैं क्योंकि बर्फ ने सब तरफ से रास्ते बन्द कर दिए हैं. हमारे मित्र अली के पड़ोसी जिन्हें हम पहले वहीं मिल चुके हैं, तीन दिन से रास्ते में हैं. तहरान से रश्त आने का रास्ता बन्द है. बीच बीच में मोबाइल से अपनी खैरियत की खबर देते रहते हैं. पुलिस सफर करते लोगों को कम्बल और चाय दे रही है. सब अपनी अपनी कारों में बन्द रास्ते खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं.
वहाँ के आम लोगों की रोज़मर्रा की तकलीफों का ज़िक्र होता है तो अपने देश के खस्ताहाल लोगों का जिक्र स्वाभाविक है लेकिन सुनते ही मेरे मित्र एक बात जो कहते हैं उसका कोई जवाब मैं नहीं दे पाती. ...आज़ाद पंछी पिंजरे के बाहर रह कर अगर रूखी सूखी खाता है तो उड़ता भी खुले आकाश में ही है.... सच है कि आज़ादी हम सब का जन्म सिद्ध अधिकार है. शाह के समय और अब में ज़मीन आसमान का अंतर है. वहाँ के हर इंसान में एक अजीब सी छटपटाहट देखने को मिलती है.
जीवन की ज़रूरतें पूरी करने के लिए आम आदमी जूझता सा दिखाई देता है. पैट्रोल तो पहले से ही राशन में मिलने लगा था , अब घर में आती गैस की सप्लाई भी आती जाती रहती है. ज़रूरत की चीज़ें महंगी होती जा रही हैं. युवा पीढ़ी के पास काम नहीं है जिस कारण खाली दिमाग शैतान का घर बन कर खूब खुराफाते करता है. इन सब बातों पर चर्चा करते हुए दिल दुखी हो जाता है.
फिलहाल इस वक्त हालात यह हैं कि वहाँ गैस की कमी के कारण स्कूल कॉलेज और ऑफिस सब बन्द कर दिए गए हैं. दो मीटर बर्फ गिर रही है और सड़कें वीरान हैं. कोई इक्का दुक्का कार या टैक्सी दिखाई दे जाती है. घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. ताज़ी रोटी खरीदने के लिए भी लम्बी लाइन में लगना पड़ता है. यह सुनकर मन और भी खराब होता है जब उनका तीन साल का छोटा बेटा आर्यन मेरे हाथ की रोटी को याद करके अपनी मम्मी से पूछता है, ...' मॉमान यादात मियाद मीमी नून मीपोख्त?' मम्मी, क्या याद है मीमी कैसे रोटी पकाती है?' जब से बोलना सीखा है मुझे मीमी ही बुलाता है.... बड़ा बेटा अर्दलान खाला मीनू कहता हुआ पनीर की सब्ज़ी और सादी चपाती को याद करता है. चपाती बना कर वैब कैम पर दिखा देने से ही बच्चे खुश हो जाते हैं. बच्चे जो हैं और बचपन तो सबसे प्यारा और मासूम होता है. उनकी मुस्कान दिल बाग बाग कर देती है और फिर से बचपन लौट आता है.
14 टिप्पणियां:
वाह कहाँ से शुरू हुई बात कहाँ पहुँची.
sundar sach kaha se kaha baat ho gayi.nice.
यूं ही वाली बातें ज्यादा बान्धती हैं! रोचक लिखा जी। ईरान की सर्दी का अन्दाज लग गया।
अच्छा लगा पढ़ना ।
di,aap to sabki chaheti hain....kya bacchey kya hum jaisey badey....lekh mun bhaaya
बहुत खूब!!
अपने आप से बतियाने के अंदाज़ में ही इतनी बातें हो गई!!
खूब आनन्द आया। कभी उंनसे इरान मे प्रचलित दादी माँ के नुस्खो के विषय मे पूछियेगा और फिर उस पर पोस्ट लिखियेगा।
तो क्या अरबी या फारसी (दोनों में से कोई एक ही होगी) भी सीख रखी हैं आपने? खैर इरान का सफर भी पढ़ लिया जाए...
जीवन की ज़रूरतें पूरी करने के लिए आम आदमी जूझता सा दिखाई देता है....यही तो तीसरी दुनिया और विश्व की आबादी के हर तीसरे आदमी का सच है। रोमांचक सामग्री है।
-जेपी नारायण
अच्छा तो वहाँ खूब बर्फ गिर रही है।
ऐसे ही रोचक स्टाइल मे बस यूं ही लिखती रहिये।
आपकी शैली बहुत पसन्द आयी।
मुझे भी अच्छा लगा जानकर कि आप सब को मेरी गुफ्तगू अच्छी लगी....अब तो हर याद को यहाँ उतारने की कोशिश करूँगी..
आपके व्यक्तिगत जीवन को देखने के लिये जो झरोखा खोला है उसके लिये शुक्रिया. आस्वादन किया.
जब भी अन्य लोगों के जीवन के बारे में पढते हैं तो लगता है कि हे प्रभु कितनी सारी बातें हम सब के जीवन में आम है!!
Dear Meenakshi
prem to satya hai hi, lekin usase bhi bada satya ye hai ki aap bahut Gazab ka likhate ho..... kudos for this wonderful article! I really feel proud to be associated with talented writers like you..... Iran ka darshan ghar baith kar hi kar liya.
love
Suchitra
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