जब भी हमें शायर कहकर पुकारा जाता
दिल हमारा बाग़-बाग़ हो जाया करता !
तन से पहले मन मंच पर पहुँच जाया करता
शायरी करने को जी मचल मचल जाया करता !
लेकिन ------------
नाम हमारा सुनते ही श्रोताओं पर गिरते कई बम
उनका रुख देखते ही हमारा भी निकल जाता दम !
हिम्मत कर फिर भी बढ़ाते कदम
सीधा पहुँचते मंच पर हम !
एक ही साँस में पढ़ जाते लाइनें दस
फिर लेते थोड़ा हम दम !
कुछ श्रोताओं का होता सब्र कम
शोर कुछ श्रोताओं का जाता बढ़ !
कुछ श्रोताओं की बेरुखी सहते हम
कुछ श्रोताओं की मुस्कान भी पाते हम !
फिर भी मैदान में डटे सिपाही से हम
पीछे न हटते, हार न मानते हम !
सब्र से बैठे हुए लोगों पर
अपनी शायरी का सिक्का जमाते हम
7 टिप्पणियां:
एक एक शेर लगा एटमी बम
पर दम लगा के पढ़ गए हम.
सुनिए अब हमारे भी दो बोल,
नायाब शायरी पढ़ाने का शुक्रिया.
सबके सामने खोली हमारी पोल,
यह आपने बहुत बुरा किया.
हम्म्ममम पक्के शायर के यही लक्ष्ण है।
(आपकी यात्रा शुभ हो।)
एक सीधी सादी हल्की फुल्की हर बंदे की समझ में आ जाने वाली कविता......आभार।
सहज और गंभीर रचना। साधुवाद।
क्या बात है!!
पसंद आया!
meenakshi jee,
saadar abvivaadan. aaj shaayaree bhee padhwaa dee shukriyaa. waise apke liye to shaayad itna hee kaafi hai
kaatil hai,
kalam unki,
hum roz marte hain.
):
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