पिछले दिनों कविता के रूप सौन्दर्य को एक नहीं , दो नहीं तीन बार निहारा, सराहा...शायद एक दो बार और कविता के सागर में डूबना हो....डूब कर जो भी मोती हाथ लगे फिर से यहाँ सजा दूँ ..... आज तो एक पुरानी दोस्त का परिचय कराने को जी चाहा...
आठ साल के बाद नेट की बदौलत फेसबुक पर फिर से पुरानी दोस्त से मुलाकात हो पाई.. ...
पुराने
दोस्त पुराने चावल जैसे खुशबूदार ...बातें भी खुशबूदार शुरु हुई अतीत
के प्यारे पलों की.....
यादें खुशबू सी महकने लगीं और हम दोनों भी महकने चहकने लगे
साथ साथ अतीत की बगिया में ....
मैं अपनी सहेली अनिता की बातें सहेज रही थी अपने मानस पटल पर ...
“बीते हुए पलों को सदैव संजो कर रखना चाहिए, वो ही हमारे जीवन के मोती हैं”
“
”मीठे पलों को याद करके ही ज़िन्दगी की ऊबड़ खाबड़ पगडंडियों को भूल जाते
हैं हम सब”
“बीते हुए हर पल को प्यार से संजो कर रखने की कोशिश की है मैंने”
“तुम बोलती थी, मैं सपने लेती थी”
“ग़र हमें दोस्तों की पसन्द ना पसन्द पता हो तो ज़िन्दगी आसान ही नहीं दिलचस्प भी हो जाती
है”
बीते दिनों की और भी कई बातों का ज़िक्र हुआ... उनमें से कुछ यादों को तो मैं बिल्कुल
भुला चुकी थी.....
उसे सब याद था... यकीनन उसने यादों को मोतियों की तरह सहेज कर रखा था....
याद न कर पाने की ख़लिश को दूर करने के लिए अनिता को ब्लॉग बनाने की सलाह दे डाली....
जानती हूँ
पुरानी यादों को कीमती मोतियों की तरह सहेज कर रखा हुआ है...
बस इंतज़ार है कब एक कोशिश देखने को मिलेगी........

