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मंगलवार, 13 सितंबर 2011

परिवर्तन को सहज स्वीकार किया...

जीवन गतिशील है सोच लिया.... परिवर्तन को सहज स्वीकार किया ...
ब्लॉग को नया रूप  दिया....सफ़ेद दीवारों पर नीला  रंग किया ...
बदले रूप को देखा तो .......
आसमानी रंग का प्रतिबिम्ब सजा कर लहराता  सागर याद आया... 
सागर की चंचल लहरों को अपना सुनहरी रूप रंग देता  सूरज भाया ... 
निस्वार्थ भाव से जलता सूरज देखा जब गीत पुराना इक याद आया....
जलते सूरज का गीत सुना तो ...... 
सत्यवादी  हरिश्चन्द्र तारामति के संग-संग नन्हें बालक का जादू छाया ... 


14 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

वाह!! क्या सुनवा दिया!! आभार!!

Sanjay Kareer ने कहा…

नया अवतार देखकर अच्‍छा लगा... अब नई ऊर्जा के साथ और भी नई नई बातें लिखने के लिए जुट जाइए।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ब्लॉग का नया रूप भाया ... गीत सुन सच ही आनन्द आया ..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पता नही क्यों मेरे कंप्यूटर पर सारे यु आर एल नज़र नहीं आ रहे ... वैसे मिलने पर सुन ही केंगे ये गीत आपसे ...
ब्लॉग की सज्जा अच्छी लग रही है ...

Abhishek Ojha ने कहा…

नया अवतार अच्छा है. आँखों के लिए भी सहज है.

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत ही बढि़या ।

Unknown ने कहा…

बहुत बढ़िया और शानदार रचना |

मेरी नई रचना देखें-
**मेरी कविता:राष्ट्रभाषा हिंदी**

SANDEEP PANWAR ने कहा…

अच्छा है।

POOJA... ने कहा…

thank you so much for sharing such a beautiful song... :)
der hai parantu andher nahi... bas...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर....

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

हेमंत दा का अमर गीत, मन को तृप्त कर गया.आभार.

Arvind Mishra ने कहा…

वाह -हर रात की इक सुबह तो है ...
माना है बड़ी है शाम गम की, मगर शाम ही तो है

मीनाक्षी ने कहा…

आप सभी मित्रों का शुक्रिया....

@संजयजी..कोशिश करूँगी कि इस बदलाव के साथ मुझमे भी नियमित लिखने का बदलाव आए :)

@दिगम्बरजी..हम तो कहने वाले थे कि अपनी रचनाओं को आवाज़ दीजिए..आप शिष्य बना लें तो हम भी गा लें...

संजय भास्‍कर ने कहा…

हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है