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मंगलवार, 20 सितंबर 2011

तुम्हारा स्पर्श


पिछली पोस्ट पर अपनी एक दोस्त का परिचय दिया था...आठ साल बाद फिर से फेसबुक पर मिलना हुआ..यादों के पल मोती जैसे सहेजने के लिए ब्लॉग बनाने को कहा ..जब तक ब्लॉग़ बने सोचा क्यों न उसी की लिखी एक पुरानी कविता पढ़वा दूँ ..... मैं बोलती तो वह सपने लेती...वह लिखती तो मैं कल्पना करती नए नए अर्थों के साथ ..... 'तुम्हारा स्पर्श' कविता का आरंभ लगा किसी प्रेयसी के मन का हाल ..... तो अंत पढ़ते लगा जैसे क़लम और काग़ज़ मिल कर कविता को जन्म दे रहे हों.....उस कविता को खूबसूरत रूप देने के लिए लालायित हों....... आपको क्या लगता है... ? 


तुम ने जो सहलाया...मेरी घनी जुल्फों को 
अपने हाथों से 
मेरा झुमर खनक उठा
तुम ने जो छुआ .. ...मेरी पलकों को अधरों से 
होठो को होठो से 
मेरे कंगन खनक उठे 
तुम ने जो बेधा.....मुझे नैनो के तीरों से 
कानो के प्रेमाक्षरों से 
मेरे कर्ण फूल बज उठे 

मेरी साँसे जो तुम से टकरा रही थीं 
अधूरी दास्ताँ मेरे दिल की सुना रही थी 
मेरी करधनी,  मेरी पायल 
तुम्हारे एहसास के बिन सूनी पड़ी है 
जो गीत तुम्हारे ही गा रहे  है 
मेरे उन अलंकारों को रूप नया दे दो .. (अनिता ) 

22 टिप्‍पणियां:

Suman ने कहा…

शायद कानों में होना चाहिए ...

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर!

रविकर ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||

abhi ने कहा…

कल रात से ही इधर बारिश हो रही है और मौसम अभी कातिलाना है...और ऐसे में इतनी खूबसूरत कविता सुबह सुबह..इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता!!

POOJA... ने कहा…

waah... sundartam...
prem ki sudha...

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||

Puran Chand

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत कविता ... शब्द जैसे बोल रहे हैं प्रेम की दास्ताँ ...
वैसे "अनीता" लक्की है ...

रेखा ने कहा…

बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति ...

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत प्यारा लिखा है ... प्रत्येक शब्द पूरी समग्रता से भावों को दर्शाता है .....

vandana gupta ने कहा…

मनमोहक अन्दाज़…… कोमल भावो का संगम……………… सुन्दर कविता

जन सुनवाई @legalheal ने कहा…

जल्दी ही हमारे ब्लॉग की रचनाओं का एक संकलन प्रकाशित हो रहा है.

आपको सादर आमंत्रण, कि आप अपनी कोई एक रचना जिसे आप प्रकाशन योग्य मानते हों हमें भेजें ताकि लोग हमारे इस प्रकाशन के द्वारा आपकी किसी एक सर्वश्रेष्ट रचना को हमेशा के लिए संजो कर रख सकें और सदैव लाभान्वित हो सकें.

यदि संभव हो सके तो इस प्रयास मे आपका सार्थक साथ पाकर, आपके शब्दों को पुस्तिकाबद्ध रूप में देखकर, हमें प्रसन्नता होगी.

अपनी टिपण्णी से हमारा मार्गदर्शन कीजिये.

जन सुनवाई jansunwai@in.com
www.jan-sunwai.blogspot.com

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत....

kshama ने कहा…

Behad pyaree rachana hai!

Arvind Mishra ने कहा…

रुमान की यह अनुभूति जीवन्तता की अनुभूति है -अनिता जी की कवितायें भविष्य में भी !

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

मेरी करधनी, मेरी पायल
तुम्हारे एहसास के बिन सूनी पड़ी है
जो गीत तुम्हारे ही गा रहे है
मेरे उन अलंकारों को रूप नया दे दो ..


सुन्दर उपमाओं की सुन्दर रचना और सुंदर भाव ...

Pawan Kumar ने कहा…

आदरणीया जी

कविता में क्या खूबसूरत विम्ब साधा है......
तुम ने जो बेधा.....मुझे नैनो के तीरों से
कानो के प्रेमाक्षरों से
मेरे कर्ण फूल बज उठे

.......अतीव सुन्दर....सुन्दरतम !!!

Rakesh Kumar ने कहा…

वाह! कविता पढते हुए ही कानों में
मधुर संगीत बजने लगा.

शानदार अनुपम अभिव्यक्ति के लिए
आभार.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

ZEAL ने कहा…

beautiful creation !

अनूप शुक्ल ने कहा…

ये तो बड़ी मुलायम और चकाचक कवितायें हैं। :)

बेनामी ने कहा…

I promise you that
I will share all my thoughts
and feelings with you
I promise you that
I will understand everything that you do
... ... I promise you that
I will be completely honest with you
I promise you that
I will laugh and cry with you
I promise you that
I will share my life with you
But -most important of all
I promise you that
I will (♥) you forever

Asha Joglekar ने कहा…

आज तो प्रेम रस मे भीग गये यहां । बेहद सुंदर ।

Jitendra Kumar ने कहा…

bahut sundar..