प्रकृति पर होते प्रहार को
हर पल रोकें
प्रहरी बन बचाएं धरती को
हर पल सोचे !
हर पल रोकें
प्रहरी बन बचाएं धरती को
हर पल सोचे !
कल शनिवार 28 मार्च 2009 पूरी दुनिया में ‘अर्थ ऑवर’ मनाकर धरती को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाने का स्कंल्प लिया गया था. कह सकते हैं कि साढ़े आठ से साढ़े नौ तक सिर्फ एक घंटे के लिए प्रकृति के साथ मिल कर बैठने का अनुरोध किया गया.
ब्लॉगजगत में सबसे पहले इस विषय पर रचनाजी की पोस्ट देखी जिसमें उन्होंने अपनी धरती माँ को वोट देने की अपील की.. उन्हीं की आवाज़ को बुलन्द करते हुए प्राची के उस पार खड़े नीशू जी ने और नुक्कड़ पर बैठे अविनाश वाचस्पति जी ने भी अपनी आवाज़ बुलन्द की.... मातृ ऋण को चुकाने का ज़िक्र करते हुए संगीता पुरी जी ने चिंता व्यक्त की तो अरविन्द मिश्रजी ने ‘धरती प्रहर’ में एक घंटे के लिए बिजली स्विच बन्द करके धरती माँ को पर्यावरण के आघातों और प्रदूषण से बचाने की बात की.
महेश मिश्र जी ने समय चक्र की चिट्ठाचर्चा में धरती प्रहर पर वोट देने और एक घंटे के लिए बिजली बन्द करने की अपील तो की लेकिन साथ ही साथ ऐसा करने वाले कई चिट्ठों का ज़िक्र भी कर दिया। उन्हीं के ब्लॉग पर अविनाश वाचस्पति जी की आई एक टिप्पणी ने प्रभावित किया. सोचने पर विवश कर दिया कि क्या सिर्फ एक दिन के लिए सिर्फ एक घंटे के लिए धरती माँ पर होते घातक प्रहार को रोकना सम्भव है..... !!
सिर्फ एक घंटे ही क्यों
यदि बचाएँ नियमित तौर पर
चाहे एक मिनट ही रोज़ाना
तो वर्ष मे बचा पाएँगे
365 मिनट बिना नागा
जो अवश्य ही एक घंटे से
ज़्यादा होंगे
क्यो नही बनाते हम अपनी
ऐसी आदतों को लत
मेरा तो यही है मत !
हमने सोचा क्यों न हम इस विषय पर अपने मित्रों से अपना अनुभव बाँटें....
सोच कर देखिए जब बिजली चली जाती है तो सबसे पहले कानों को सुकून
मिलता है. इस सुकून को पाने के लिए हम कभी भी अपने आप बिजली के
सभी स्विच बन्द कर सकते हैं. घने अन्धकार में मन्द मन्द खुशबू वाली
मद्धम रोशनी का आनन्द पा सकते हैं.
रंग-बिरंगी और खुशबूदार मोमबत्तियाँ , नए नए बर्नर जिसमें अलग अलग
खुशबूदार अरोमा ऑयल जलाकर घर के सभी सदस्यों के मन मुताबिक
वातावरण को बनाया जा सकता है. तनाव को दूर करने के लिए, अच्छी नींद
पाने के लिए और उर्जा पाने के लिए अलग अलग प्रकार के तेल और खुशबूदार
मोमबत्तियाँ मिलती हैं.
1980 के दशक में दिल्ली के ऑबरोय होटल के पास वाले अन्धविद्यालय जाया
करते थे. कनाट प्लेस के कुछ एम्पोरियम में भी जाते थे. अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम
और अन्धविद्यालयों में अगर यह सब बनता है तो हम वहाँ से खरीद कर उनकी
सहायता भी कर सकते हैं. अब दिल्ली में यह सब कहाँ खोजा जा सकता है ,
पता चलने पर हमें भी बताया जाए. इस वक्त जो भी हमारे घर में है,
कुछ के चित्र खींचकर यहाँ ल
गा रही हूँ.
(सितारों से सजी गुलाबी रंग की मोमबत्ती गुलाब की खुशबू से भरी है)
(लाल रंग के बर्नर में हल्के गुलाब की सुगन्ध की छोटी मोमबत्ती है
और ऊपर ऊर्जा शक्ति देने वाला अरोमा ऑयल जल रहा है)
कब आप मद्धम रोशनी में खामोश खुशबूदार वातावरण में प्रकृति के प्रहरी बनकर उसके मौन को समझते हुए उसे अपनेपन का एहसास कराएँगे.....ज़रूर बताइएगा... !
यदि बचाएँ नियमित तौर पर
चाहे एक मिनट ही रोज़ाना
तो वर्ष मे बचा पाएँगे
365 मिनट बिना नागा
जो अवश्य ही एक घंटे से
ज़्यादा होंगे
क्यो नही बनाते हम अपनी
ऐसी आदतों को लत
मेरा तो यही है मत !
हमने सोचा क्यों न हम इस विषय पर अपने मित्रों से अपना अनुभव बाँटें....
सोच कर देखिए जब बिजली चली जाती है तो सबसे पहले कानों को सुकून
मिलता है. इस सुकून को पाने के लिए हम कभी भी अपने आप बिजली के
सभी स्विच बन्द कर सकते हैं. घने अन्धकार में मन्द मन्द खुशबू वाली
मद्धम रोशनी का आनन्द पा सकते हैं.
रंग-बिरंगी और खुशबूदार मोमबत्तियाँ , नए नए बर्नर जिसमें अलग अलग
खुशबूदार अरोमा ऑयल जलाकर घर के सभी सदस्यों के मन मुताबिक
वातावरण को बनाया जा सकता है. तनाव को दूर करने के लिए, अच्छी नींद
पाने के लिए और उर्जा पाने के लिए अलग अलग प्रकार के तेल और खुशबूदार
मोमबत्तियाँ मिलती हैं.
1980 के दशक में दिल्ली के ऑबरोय होटल के पास वाले अन्धविद्यालय जाया
करते थे. कनाट प्लेस के कुछ एम्पोरियम में भी जाते थे. अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम
और अन्धविद्यालयों में अगर यह सब बनता है तो हम वहाँ से खरीद कर उनकी
सहायता भी कर सकते हैं. अब दिल्ली में यह सब कहाँ खोजा जा सकता है ,
पता चलने पर हमें भी बताया जाए. इस वक्त जो भी हमारे घर में है,
कुछ के चित्र खींचकर यहाँ ल
गा रही हूँ.(सितारों से सजी गुलाबी रंग की मोमबत्ती गुलाब की खुशबू से भरी है)
(लाल रंग के बर्नर में हल्के गुलाब की सुगन्ध की छोटी मोमबत्ती हैऔर ऊपर ऊर्जा शक्ति देने वाला अरोमा ऑयल जल रहा है)
कब आप मद्धम रोशनी में खामोश खुशबूदार वातावरण में प्रकृति के प्रहरी बनकर उसके मौन को समझते हुए उसे अपनेपन का एहसास कराएँगे.....ज़रूर बताइएगा... !


Is it for woman leaving at certain place? If so I hope full coverage will be here. One suggestion if possible please do complete videography of the meeting. In my opininon it is history making event. - Amita
amita as of now we are getting together in delhi but every woman who blogs is invited
please get in touch with us
Thats great, I have followed the Kavi Sammelan available as "Video In Internet" the first one, made a history in Internet, a Brave Heart Kavitri Sunita Shanoo.
Now it is great and pleasing news from you about the Nari Blogger. It is again a History in making from Delhi.
बहुत दूर होने के कारण आपके इस आयोजन में भाग नहीं ले सकूँगी परन्तु मेरी शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती