पिछली पोस्ट को ज़ारी रखते हुए कायदे से 'सफ़र का अगला सफ़ा' दर्ज करना था लेकिन उस पोस्ट की टिप्पणियाँ पढते पढ़ते नीचे नज़र गई तो 'लिंक्स टू दिस पोस्ट' में लगे तीन ब्लॉग खोल कर पढ़ने का लालच न रोक पाई.....
पारुल और कंचन दोनो ही प्यारी लगती हैं ....पारुल छोटी बहन जैसी और कंचन बिटिया जैसी.... कंचन जैसे दिल वाली कंचन की काँच सी खनकती चूड़ियों जैसी आवाज़ फोन के ज़रिए कानों में पड़ती है तो दिल चाहता है कि बस बात होती ही रहे... बेटे वरुण को कंचन दीदी से मिलाने का वादा तो किया है लेकिन कब.... नहीं पता...खैर कंचन का लिंक खोला जिसे पढ़कर आँखें नम हो गईं...नम आँखों में अटके आँसू गालों में ढुलकने लगे.
17 मार्च 2003 का दिन नहीं भूलता जब मैं अपने बीमार पिता का हाथ छुड़ाकर अपने बच्चों के पास लौट गई थी... 19 मार्च को वे हमें सदा के लिए छोड़ गए....'मैं कहना चाहता हूँ "पापा आई लव यू " पर कह नही पाता' अनुरागजी के इस भाव को पढ़ कर बार बार मन ही मन अपने पापा से माफी माँग रही हूँ और पुकार रही हूँ कि बस एक बार फिर से वापिस लौट आएँ तो हाथ छुड़ा कर कहीं न जाऊँगी...
लावण्यजी के ब्लॉग पर जाकर जहाँ पापा के साथ बिताए बचपन के दिन याद आ गए तो वहीं युनूस जी द्वारा पोस्ट किए गए गीत को बचपन में कई बार गा गाकर टूर पर गए पापा को याद किया जाता था.
दिल और दिमाग बेचैन हो उठे ...जैसे अन्दर ही अन्दर बेबसी का धुँआ भरने लगा हो... सामने दीवार पर टँगी तस्वीर में मुस्कुराते पापा को देखते ही चेतना लौटने लगी...
इन्हीं विचारों में डूबते उतरते पारुल के लिंक को क्लिक किया तो गज़ल के बोल बार बार पढ़ने लगे और सुनकर तो मन शांत स्थिर झील सा होने लगा... एड्रेस बार में नीरजजी का ब्लॉग अभी दिख रहा था जिसे पढ़ना बाकि था...जिसे खोलते ही जयपुर में किताबों की दुनिया की जानकारी मिली... किताबों की बात आते ही जयपुर में कुश से मुलाकात और उनसे भेंट में मिली दो किताबों की याद आ गई जिन्हें पढ़ना अभी बाकि है.... वैसे कल ही उनके ब्लॉग़ की नई पोस्ट पढ़ी, अमीना आलम ने तो सच में नींद उड़ा दी...
तीसरे लिंक को खोला तो शब्दों के सफ़र में खानाबदोश और मस्त कलन्दरों के बारे में पढ़ने को मिला... खानाबदोश तो आजकल हम भी बने हुए हैं... फिलहाल 22-23 साल से इस जीवन शैली में मस्त कलन्दर बनने की कोशिश में लगे है.... !
सोचा नहीं था कि पोस्ट और टिप्पणियों के नीचे दिए गए लिंक्स से एक पोस्ट तैयार हो जाएगी... लेकिन पढ़ने और फिर लिखने के बाद अच्छा लग रहा है....... शुभ रविवार :)
18 टिप्पणियां:
Sach aisa hee mere sath bhee aksar hota hai, sabhee ka likha itna achcha, bhaav purn hota hai ki, padhte padhte Hum bhee Khana Badosh - emotionally ho jate hain.
Delhi se Bokaro Steel city, se Bambi, to Jaipur se Meerath se fir Bhopal chal dete hain ...
Ye Hindi blog jagat aur sare saathee
hume apne se lagte hain..
bhale dooriyaan , hazaron miles kee hain per lagta hai, sabhee jaise Dil ke kareeb hain Meenaxi ji ..
( abhee main PC se door hoon isliye comment angrezee mei ker rahee hoon please do not mind :)
bahut sneh sahit,
- Lavanya
प्रेम ही सत्य है सही है आपके ब्लाग का नाम!
लिंक्स टू दिस पोस्ट...
सब जोड़ने-जुड़ाने के रिश्ते हैं...बस...पहल चाहिए और धागा तो तैयार है पहले से ही...
रहिमन धागा नेट का....
:)
बहुत सुंदर जोड़ा आपने मीनाक्षी जी बढ़िया
मीनाक्षी बहुत बढ़िया
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गुलाबी कोंपलें
@लावण्यादी, आपने सच कहा.. कहीं न कहीं अंर्तजाल के दोस्तों से अंर्तमन के तार जुड़ॆ हैं..
@अनूपजी,,शुक्रिया लेकिन सच तो यह है कि हम सभी प्रेम को सत्य मानते हैं.
@अजितजी, रहिमन धागा नेट का नहीं टूटे खटकाय... टूटे से यह फिर जुड़े जब 'पावर' आ जाए... (पावर - बिजली, आत्मशक्ति)
@रंजनाजी शुक्रिया.. जोड़ना ही रिश्ते को सुन्दरता देता है.
@विनय आपका चाँद , बादल और शाम का सुन्दर रूप भी देखा और गुलाबी कोपले भी..दिल की बस्तियो के जलने पर भी धुँआ न उठा... यही तो जीने की खूबसूरती है..
आपकी पसन्द के सभी ब्लॉग बेहद स्तरीय हैं।
दी, अभी सुन रही हूँ-
तेरी दिलदार निगाहों का दिलासा पा कर
मेरी पलकों पे चमकते हुए जुगनू आए
Adbhut
badhaiya
अब तो सब एक परिवार सा लगता है... आपने तो सारी अच्छी पोस्ट्स के एक कोलाज बना दिया... आपसे मिलकर जो खुशी हुई.. उसे शब्द देने की हिम्मत मुझमे तो नही... वरुण से मिलना सुखद रहा है.. उसके सवालो से दोस्ती हो गयी.. :)... कंचन से भी जल्दी मिलिए... यू बेटियो को तड़पाना ठीक नही..
आप भारत में है ,हमें आईडिया नही था ...वैसे अच्छे इंसानों को सब अच्छे ही लगते है
कुश जी की बात पर ध्यान दीजिये दी....! यूँ बेटियों को तड़फाना ठीक नही....! वैसे अगर बहुत तड़फाया तो बेटियाँ इतनी सीधी भी नही हैं.....! किस बी समय सर पर सवार हो सकती हैं....!
और बात अनुराग जी की भी सही है..... अच्छे इंसानों को सब अच्छे ही लगते है..!
इस पलसफे को आप तो खैर समझ ही लीजिये, अनुराग जी से मैं अलग से हिसाब करती हूँ, मतलब क्या है उनका, उन्हे मैं बुरी लगती हूँ क्या....???? क्या इन्ही दिनो के लिये मैं उन्हे जितनी जल्दी हो सके टिप्पणियो का मक्खन लगाती रही हू...:) :)
But didi you are really so sweet, a lady who truelly has the heart of a mother and friend both
अच्छी खासी चिठ्ठा चर्चा हो गयी.
Dear Meenu..very interesting blog....your imaginations are interesting ....i loved the way you connected people ....keep up ur good work dear...love ju..
aapne bahut accha likha hai .
maza aa gaya padhkar
aapko shivraatri ki shubkaamnaayen ..
Maine bhi kuch likha hai @ www.poemsofvijay.blogspot.com par, pls padhiyenga aur apne comments ke dwara utsaah badhayen..
... प्रस्तुति प्रसंशनीय है!!!!!
लगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
http://www.rachanabharti.blogspot.com
कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लिए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
http://www.swapnil98.blogspot.com
रेखा चित्र एंव आर्ट के लिए देखें
http://chitrasansar.blogspot.com
meenu deedee,
bahut samay baad apke blog par aaya, sach kaha hai apne kambakht ye link banana mujhe bhee nahin aataa kisi din seekhunga aapse, maine didi kaha aap bura to nahin maangee na .
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