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मंगलवार, 21 जून 2011

'हरी मिर्च' के साथ 'स्वप्न मेरे' बन गए यादगार पल

वीडियो से ली गई तस्वीर में मनीषजी और दिगम्बरजी 


महीनों या शायद सालों से मिलने की सोच सच में बदली तो खुशी का कोई ठिकाना ही न था.. बहुत दिनों की कोशिश रंग ले ही आई और हमें दिगम्बर नासवा (स्वप्न मेरेऔर मनीष जोशी 
('हरी मिर्च') से मिलने का मौका मिल ही गया. बस उसी खुशी में उन पलों को तस्वीरों में कैद करना ही भूल गए.
पहले थोड़ा हिचकचाए थे कि घर कई महीनो से बच्चों के हवाले था...दीवारों पर अल्मारी के शीशे के पल्लों पर तस्वीरें बनी हैं... घर के सभी कोनों में बच्चों का ही सामान दिखाई देता है... इस झिझक को तोड़ा बच्चों ने... याद दिलाया कि आप तो दिखावे में यकीन नहीं करती थी फिर अब क्या हुआ.... आप दोनों ब्लॉग मित्रों को बुलाइए उन्हें बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा क्यों कि सब जानते हैं कि बच्चों से घर घर लगता है.....बच्चों से बात करते करते बस जोश आया और दोनो परिवारों को फोन कर दिया... मिलना तय हुआ 17 जून शुक्रवार ...
मनीषजी  और उनकी पत्नी मोना पहले पहुँचे....पहली बार मिलने पर भी लगा ही नहीं कि हम पहली बार मिले...एक अपनापन लिए मुस्कुराते दो चेहरे सामने थे जिनकी मुस्कान देख कर मन खुश  हो गया...उनके हाथ में फूल देख कर तो खुश हुए लेकिन बच्चों के लिए चॉकलेट्स और घर के लिए खुशबू का तोहफा पाकर समझ न पाए कि क्या करें क्या कहें.... कुछ ही देर में दिगम्बर और उनकी पत्नी अनिता भी आ गए...स्वागत में खड़े कभी उन्हें देखते तो कभी उनके लाए तोहफे को... पता नहीं क्यों किसी से उपहार पाकर मन समझ नहीं पाता कि कैसे व्यवहार किया जाए... हाँ देते वक्त कोई मुश्किल नहीं होती... आते ही दिगम्बरजी ने समीरजी की दो पुस्तकें भी थमा दीं (सिर्फ पढ़ने के लिए ली हैं) और भी कई किताबों का लालच दे दिया .. मन ही मन सोच लिया कि अगली बार उन्हीं के घर जाकर उनकी किताबों का संग्रह देखा जाएगा ... वैसे हम सबने ही तय कर लिया कि अगली मुलाकात जल्दी ही होगी...
दिगम्बरजी कुछ संकोची स्वभाव के लगे लेकिन अनिता उनके विपरीत खिलखिलाती सी मिली....
गहरी नदी की धारा सी शांत लेकिन कहीं चंचल लगने वाली मोना के व्यक्तित्व ने जहाँ प्रभावित किया वहीं झरने सी झर झर बहती अनिता के स्वभाव ने मन मोह लिया.... समुद्र की गहराई लिए हुए दो ब्लॉगर कवि धीरे धीरे सहज हो गए और फिर महफिल ऐसी लगी कि मन ने चाहा बस यूँ ही दोनों कवियों का कविता पाठ चलता रहे...    
विद्युत को जब पता चला कि कविता पाठ होने वाला है तो  एक छोटा सा विडियो कैमरा सोफे पर फिक्स कर दिया ताकि दिगम्बरजी और मनीषजी की कविता रिकॉर्ड कर ली जाएहालाँकि बाद में डाँट भी खाई कि तस्वीरें लेने का ख्याल क्यों ना आया........खैर दोपहर के खाने के बाद दोनों कवियों की कविता सुनने की माँग हुई तो वरुण का लैपटॉप थमा दिया गया कि अपनी ऑनलाइन ड्यारी (ब्लॉग़) खोलिए और कुछ अपनी पसन्द का सुना दीजिए....हमें सबसे अच्छा यह लगा कि दोनो बच्चे इस दौरान हमारे साथ ही बैठे रहे और कविताओं को न सिर्फ सुना ...उनको समझने की कोशिश भी की. 
पढ़ी गई कविताओं के लिंक भी लगा रही हूँ,,,, साथ साथ पढ़ने में शायद कोई रुचि रखता हो ... 
मनीषजी की  जीवन साथी कविता वीडियो में दर्ज नहीं हो पाई लेकिन चुहलकदमी और  बढ़ते हुए बच्चे का लुत्फ आप ले सकते हैं... उसके बाद उन्होंने लैपटॉप दिगम्बरजी को पकड़ा दिया... उनकी मुक्त छन्द की कविताएँ बच्चों को आसानी से समझ आ रही थी इसलिए रौ में वह पढ़ते गए और सब उसी रौ में सुनते गए ... उफ़ .... तुम भी न नीला पुलोवर बड़ी शिद्दत से अम्मा फिर तुम्हारी याद आती है  झूठ   
लेकिन मैं झूठ नहीं कहूँगी कि जब भी दोनो कवियों से फिर मिलना होगा उनकी कविताएँ सुनने का मौका नहीं जाने दूँग़ी...!!!








19 टिप्‍पणियां:

Manish Kumar ने कहा…

Video to dekh nahi pa rahe par aap sab ki mulaqat ke bare mein jaankar achchha laga.

पारुल "पुखराज" ने कहा…

Hari mirch per yun bhi kavitaen bol-bol kar padhne ka aanand hai ...kavi ki aavaaz men sunnaa ...bahut badhiyaa .

baaqi sare Video dekhkar vapas cmnt karuungi Meenu di

बेनामी ने कहा…

bahoot badia lakekh, iis main hari mirch ka tikhapn hai aur sapno kee komalta hai. hamesha ppa key lekhan main kuch naya pan hota hai, Badhai

Abhishek Ojha ने कहा…

इसे फिलहाल अपठित मार्क कर रखा है. आराम से फुर्सत में सुनता हूँ.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मीनाक्षी जी ,

आज ही चर्चा मंच पर दोनों दिग्गजों की पोस्ट लगायी थी ..और आज आपके ब्लॉग पर मुलाक़ात हो रही है ... अच्छा लगा यह सब जानना और सुनना ..आभार

shikha varshney ने कहा…

वीडियो तो नहीं देखा अभी पर आपकी मुलाक़ात का वर्णन पढ़ हम भी खुश हो रहे हैं.दिगंबर जी को तो बराबर पढ़ती रही हूँ.फुर्सत में वीडियो देखने आती हूँ.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

वाह!बढिया मुलाकात रही,आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर है।

आभार

rashmi ravija ने कहा…

वाह वाह...आपका दुबई प्रवास तो बहुत रंग ला रहा है...और हम भी रु ब रु हो रहे हैं..बस इंतज़ार ही था...आपकी इस पोस्ट का...पर मुझे ही देर हो गयी...यहाँ आने में :(

बहुत ही अच्छा लगा आपके, माध्यम से इन्हें जानना और इनकी कविताएँ सुनना....इनके ब्लॉग के तो हम नियमित पाठक हैं हीं.

डा० अमर कुमार ने कहा…

.आलेख से अधिक आत्मीय विडियो क्लिपिंग्स लगीं,
मैंनें भी कई बार चाशनी में लिपटा झूठ बोला है, पर इस टिप्पणी में नहीं !

मीनाक्षी ने कहा…

@मनीष..पहले प्राइवेट सेटिंग होने के कारण आप देख नही पाए..अब वीडियो देख सकते है आप
..
@पारुल..बहुत दिनो बाद यहाँ देख कर अच्छा लगा..
@बेनामी.... आप अपना नाम तो लिख देते मेसेज के बाद ..
@अभिषेक...फुर्सत मे ही सुनने लायक सभी वीडियोज़..
@संगीताजी...अच्छा लगा जानकर... आभार
@शिखा.. शुक्रिया..वीडियो तो ज़रूर देखनी चाहिए :)
@ब्लॉ.ललितजी...शुक्रिया
@रश्मि.. शुक्रिया... देर आए दुरुस्त आए :)
@डॉ.अमर.. आपकी सच या झूठ की चाशनी में लिपटी सभी टिप्पणियाँ गहरे अर्थ लिए होती है.. चाशनी हटा कर देखना पड़ता है :)

मीनाक्षी ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
abhi ने कहा…

विवरण पढ़ के तो बहुत अच्छा लगा और दो विडियो देख लिए, बाकी के विडियो देखता हूँ आराम से रात में...विडियो देख के अंदाजा लगा सकता हूँ कितना अच्छा समय बीता होगा आपका. :)

रचना दीक्षित ने कहा…

अच्छी लगी ये मुलाकात, विवरण और वीडियो कई बार हम नए लोगो से मिलते समय असहज महसूस करते हैं पर ब्लॉग जगत के लोग जिनके ब्लॉग पर हम जब तब विचरते हैं अनजान और नए नहीं लगते

Udan Tashtari ने कहा…

वाह आनन्द आ गया...ऐसा लगा कि हम क्यूं न हुए वहाँ....सुनकर तो मन प्रसन्न हो गया...बहुत आभार प्रस्तुत करने का.

Sanjeet Tripathi ने कहा…

kya baat hai, bahut khoob, kavypath bhi accha laga aur kavitayein behtarin

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

आदरणीया दीदी

सादर प्रणाम !

मनीष जी और दिगम्बर जी से आपके माध्यम से मिलना तो रोचक रहा … :) हालांकि वीडियो अभी लोड नहीं हो पा रहे …

… लेकिन आपने कवितापाठ क्यों नहीं किया ?

एक ख़ास पोस्ट के लिए आपका आभार !
साथ ही…
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

मीनाक्षी ने कहा…

@अभि..वक्त तो सच में लाजवाब बीता...
@मनप्रीत..वक्त मिलते ही आते हैं..
@रचनाजी...सहज भाव से मिलें तो चाहे ब्लॉगजगत हो या रीयल दुनिया हो ..सब अपने से ही लगते है..
@समीरजी..आप अपनी दो पुस्तकों के रूप में हैं वीडियो में..:)
@संजीत...बहुत दिनों बाद आपको यहाँ देखा..अच्छा लगा ...
@राजेन्द्र...हम सब बच्चों समेत दो दिग्गज कवियों के कविता पाठ में इतना मगन हो गए थे कि और कुछ ख्याल ही नही आया...

Manoj K ने कहा…

एक बात कहूँ.. यह ब्लोगर लोग सब पिछले जन्मों के खोये हुए रिश्तेदार हैं जो इस जनम में आ मिले :))

अभी १७ जून को मैं भी एक ब्लोगर से मिला, हालाँकि यह हमारी दूसरी मुलाक़ात थी. वह हमारे शहर आये हुए थे. हालात आप वाले ही रहे.. फ़ोटो नहीं ले पाए..!

यूहीं प्यार बांटते रहिये.

मनोज

Satish Saxena ने कहा…

यह तो पता ही नहीं था की दिगंबर नासवा और आप पड़ोसी हैं ?
बढ़िया लगा...