शुक्रवार की रात रियाद से दुबई पहुँची...फ्लाइट एक घंटा लेट थी लेकिन छोटा बेटा जल्दी ही एयरपोर्ट आ गया था.. इसलिए घर पहुँचते पहुँचते 11.30 बज गए.....बड़े बेटे ने पास्ता बना कर रखा था..अभी वह परोसता कि एक दोस्त आ गई....उसका आना हमारे लिए 'अतिथि देवो भव:' जैसा ही था... स्वागत तो हमने वैसे ही किया जैसे तिथि बता कर आए मेहमानों का करते हैं...
मेरे मुस्कुराते चेहरे को देख कर उसे राहत हुई और फौरन अपने बेटे को भेज कर पति और माँ को बुलवा लिया.....बेटी भी बड़े गौर से देख रही थी कि कहीं मम्मी ने आकर कोई गलती तो नहीं कर दी...लेकिन यह सौ फीसदी सच है कि मुझे उनका इस तरह आना अच्छा ही लगा...सहेली का बेटा नानी को व्हील चेयर पर लेकर अन्दर आया तो सलाम दुआ करते हुए वे उसी चेयर पर ही बैठी रहीं... कुछ देर मेरे कहने पर सोफे पर आ कर बैठ गई.....
पूरा परिवार बार बार यही कह रहा था कि आप थक गई है तो हम चले जाते हैं...लेकिन कुछ ही देर में उन्हें तसल्ली हो गई कि हम सभी ने उनका दिल से स्वागत किया... छोटे बेटे ने झट से चाय भी बना दी....अचानक मिलने के लिए आना....एक साथ बैठना....मिल कर अपनी खुशी ज़ाहिर करना......वे पल यादगार बन गए.
हमें तो सहेली की माँ बहुत प्यारी लग रही थीं....कमज़ोर नाज़ुक सा सिलवटों भरा चेहरा उस पर बच्चों जैसी मासूम मुस्कान...बड़े ध्यान से बातें सुनती आनन्द ले रही थीं... एक पल भी चेहरे पर शिकन नहीं आने दी कि आधी रात को सोने के वक्त पर कहाँ कहाँ भटकना पड़ रहा है....इकलौती बेटी है, उसी के साथ ही रहना है... दामाद प्यार आदर देने वाले.....न चाहते भी दो बजे के करीब अगले वीक एंड पर मिलने का वादा लेकर चले गए...
उसके बाद बच्चों के साथ हल्का डिनर किया...फिर बातों का दौर चले बिना नींद कैसे आती..विजय रियाद में अकेलापन महसूस कर रहे थे इसलिए वे भी लाइन पर आ गए..... सोते सोते तीन बज गए.... अगले दिन दस बजे नींद खुली...सुबह की दिनचर्या से निपट कर चाय नाश्ता करके घर के काम में लग गए...कल का पूरा दिन घर का काम करके आज लगा कि बस अब और नहीं...... अब कुछ देर अपने लिए....अपने लिए वक्त निकालना हम अक्सर भूल ही जाते हैं.... अपने लिए जीने की कला न सीखी तो फिर दूसरे के जीवन को कलात्मक कैसे बना पाएँग़े.....यही सोच कर घर के कामों को नज़रअन्दाज़ किया और आ बैठे यहाँ ......
पिछले दिनों अपने देश में जो हुआ या जो हो रहा है ...या जो होना चाहिए उसके लिए बस एक ही बात जो हमेशा मन में आती रही है कि मुझे देश और समाज के लिए कुछ करना है तो घर से ही शुरु करना होगा....अपने बच्चों को इंसान बना दिया तो वह भी समाज और देश के लिए ही कुछ करने जैसा है.....खुद को अपने परिवार को लेकर सही रास्ते पर चलना है...हम अगर इतना भी कर लें तो एक इकाई के दीपक जैसे जलने से हल्की रोशनी तो होगी ही....जीवन कर्म जो पहले से ही तय हैं उन्हें जी जान से करने में जुटे हैं.....
इसी दौरान कुछ पल ऐसे यादगार बन जाते हैं जिन्हें सबके साथ बाँटने का जी चाहता है.....
ईंट पत्थरों में काम करने वाले पति विजय भी कुछ लिख पाएँगे यह मेरे लिए चौंकाने की बात थी...उड़नतश्तरी की एक कविता को पढ़ कर विजय के मन में कुछ भाव आए...जो इस तरह से यहाँ उतरे...
बिछा देता हूँ कुछ पुरानी यादों के पत्र
चुनता हूँ एक एक करके खुशी के वो पल
लगा देता हूँ एक फ्रेम में चुन चुन कर...
वो गाँव की कच्ची गली में चलना सँभल कर
तोड़ना चोरी से कच्चे आम छुप छुप कर
नहाना मटमैले तालाब में टीले से कूद कर
वो गीले कपड़ों में आना छुप कर...
स्कूल छूटा और जवानी आई निकलना सज सँवर कर
इंतज़ार बस का करना लोगों से नज़र चुरा कर
पता नहीं कब जवानी उड़ गई पंख लगा कर
गृहस्थी में रखा पाँव जमा कर
जीने मरने की कसमें साथ खा कर
बच्चों की....!
बच्चों का बचपन उनके नए नए खेल
फिर उनका किशोर जीवन, जवानी में क़दम
बस यही ज़िन्दगी के कुछ पल जो रखे हैं संजो कर
बना दूँ उसकी तस्वीर टाँग दूँ दीवार पर
और निहारूँ उसे जिस पल
पाऊँ अपने चेहरे पर एक मुस्कान
निश्छल !!!
काश कि
देखता रहूँ उसे हर पल...!
माँ का स्नेह तो जग जाहिर है लेकिन एक पिता का प्यार बच्चो के प्रति.....
उन्हीं की पसन्द का एक वीडियो 'Save The Children by Marvin Gaye'
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17 टिप्पणियां:
apne liye jeena na seekhe to doosron ke liye kya jiyenge
वाह ! सुंदर रचना है यादों को लेकर.
क्या बात है। भैया का कवि मन भी पता चल गया ;)अच्छा लिखा है।
हाँ.., ज़िंदगी कितनी मशीन की तरह हो जाती है ना। पहले बच्चे थे हम, खेल कूद में जीते थे, अब हमारे बच्चे हमारा बचपन जी रहे हैं और हम माँ बाप की जिम्मेदारियाँ जी रहे हैं।
बहुत सुंदर संस्मरण पिता के प्यार को कुछ ज्यादा महत्व नहीं देते लोग | माँ की ममता में कसीदे पढ़े जाते है | अच्छी पोस्ट , बधाई
देख रहा हूँ कि, आपकी सँगत में भाई विजय साहब भी बिगड़ रहे हैं !
जरा समय रहते लगाम लगाइये... वरना आपको पीछे छोड़ सकते हैं ।
यदि यह उनका पहला प्रयास है तो.. निश्चय ही यह एक अच्छी रचना है ।
बहुत सुन्दर संस्मरण ... पिता का स्नेह अच्छा लगा .
अरे वाह!! बस कहिये विजय जी को ..कि हमें पढ़ते रहें..जल्दी ही उनकी किताब निकालनी पड़ेगी...बेहतरीन कविता उपजी.
परिवार की जिम्मेदारी पूर्ण करने के बाद समाज के लिए कुछ समय निकालना ही चाहिए। क्योंकि आज भी समाज गुलामी की भाषा में जकडा हुआ है और वह सत्ताधारियों की हाँ में हाँ मिलाने को ही अपना कर्तव्य समझता है।
अच्छा संस्मरण... समाज के लिए घर से शुरुआत करना सबसे बेहतरीन विकल्प है... बदलाव इसी से आ सकता है... विजय जी की रचना भी अच्छी लगी...
प्रेमरस
कभी कभी कुछ रचनाओं में ऐसा कुछ होता है जो सीधे दिल में उतर जाता है ... ये रचना भी कुछ ऐसी ही है ... आपका स्वागत है दुबई में ...
बेहद प्यारी सी पोस्ट...बच्चों का साथ और उस पर सहेली का आगमन...आपके तो पौ बारह...खूब आनंद लें इन पलों का.
कविता तो क्या है...एकदम मन का आईना...
बड़ी खूबसूरती से भावों को शब्दों में ढाला है...शुभकामनाएं
मीनाक्षी ,आपको पढ़ना तो हमेशा ही अच्छा लगता है )
आज की उपलब्धि तो विजय जी की रचना है .....
@रश्मिजी..गीता मे भी तो यही है कि पहले स्व को पूजो फिर परमार्थ कर पाओगे..
@काजलजी..यादों का जादुई चिराग तो हमेशा भरा रहता है ..
@अर्बुदा..मुझे भी अभी अभी पता चला.. :)
@सुनीलजी... सच कहा आपने.. पिता का अनकहा प्यार सुन समझ लिया जाए तो माँ के प्यार से रत्ती भर ही कम होगा..
@डॉअमर...विजय कहते है कि एक दूसरे के रंग में रंग जाएँ तो एक दूसरे से शिकायत नही रहेगी..:)
@संगीताजी... शुक्रिया..पिता का स्नेह भी देखने लायक होता..
@समीरजी....सर्टिफाइड साहित्यकार मुझसे पहले विजय बनते दिखाई दे रहे हैं...
@अजितदी..आप सही कह रही है..ऐसा होता है लेकिन अभी भी कम हो रहा है...दिल्ली में हमारे करीब के कुछ सेवा निवृत लोग खुशी से सोसायटी के काम करते हैं...
@नवाज़... सच है कि पहला बदलाव अपने घर से ही आएगा..
@दिगम्बरजी..दिल से लिखी गई बात दिल मे उतर जाए तो सफल हो गई..
@रश्मि.. सही पहचाना..पौ बारह तो आते ही हो गई...अतिथि देवो भव: आज भी सार्थकता लिए है... :)
@निवेदिता..शुक्रिया...पिता की रचना सही मे एक उपलब्धि है .. बच्चो के नाम ...
bachhon ke naam khula patra dekh balak bhi chala aaya....man bhaya..
pranam.
रोचक संस्मरण और अच्छी कविता। शुभकामनायें।
Very well written, just wondering how to type it in hindi.
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