Translate

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

रेत में डूबा रवि










प्याला हो जैसे
रेत में डूबा रवि
आधा भरा सा


धूल के कण
पत्तों पर पसरे 
चमकीले से 


सिर चढ़ती
धूल है नकचढ़ी
चिड़चिड़ी सी  

धूल ही धूल 
हवा तूफ़ानी तेज़
दम घुटता

धूसर पेड़ 
धूल भरी शाखाएँ
पत्तों पे गर्द 

नभ ने ओढ़ा
धरती का आँचल 
मटमैला सा 


16 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर हाईकु!!

रचना ने कहा…

very beautiful

पारुल "पुखराज" ने कहा…

धूल नकचढ़ी :)

rashmi ravija ने कहा…

सारे के सारे हाइकु बढ़िया बन पड़े हैं...
नकचढ़ी धूप ने ज्यादा मन मोहा..;)

सञ्जय झा ने कहा…

ek se badhkar ek.....

balak 'shokhi' nahi karta....sachhi bolta.....

viswas na ho to gyan dadda se pooch len....

pranam.

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

बेहतरीन ......

shikha varshney ने कहा…

नकचढी धूप. बहुत खूबसूरत..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर त्रिपद .....एक से बढ़ कर एक

ज्योति सिंह ने कहा…

nakchadi dhoop sundar bhav chitr ,sabhi achchhe .

abhi ने कहा…

क्या बात है...चेहरे पे मुस्कान आ गयी मेरे :)

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सभी हाइकू सुन्दर, भावपूर्ण...

daanish ने कहा…

भाव उत्तम
शिल्प मन भावन
शब्दों की माला.... !!

Asha Joglekar ने कहा…

प्याला हो जैसे
रेत में डूबा रवि
आधा भरा सा
वाह ! वाह ! वाह !

बहुत सुंदर त्रिपद्म ।

Minakshi Pant ने कहा…

sundar rachna

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

बहुत सुन्दर

Unknown ने कहा…

बहुत शानदार

मेरी नई पोस्ट देखें
मिलिए हमारी गली के गधे से