क्षमा चाहिए
त्वरित वेग था वो
बाँध लिया है
होती गलती
सुधार भी संभव
आधार यही
नित नवीन
सोच के फूल खिलें
महकें बस
त्वरित वेग था वो
बाँध लिया है
होती गलती
सुधार भी संभव
आधार यही
नित नवीन
सोच के फूल खिलें
महकें बस
दम घुटता
तोड़ दे पिंजरे को
मन विकलकल न पड़े
मन-पंछी आकुल
उड़ना चाहे
17 टिप्पणियां:
Are wah! Sab ke sab bahut sundar hain!
आपका लौट के आना बहुत अच्छा लगा मीनू दी । शुभकामनाएं अब यही रवानी बनी रहे । शुभकामनाएं
नित नयी सोच के .... बेहतरीन हाइकु।
बेहतरीन हाइकु, शुभकामनाएं
बेहतरीन हाइकु। धन्यवाद|
सुन्दर !
मुक्ति की चाह सबसे नैसर्गिक चाहों में एक है
वाह!
बेहतरीन!
आदरणीया मीनाक्षी जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
दम घुटता ,
तोड़दे पिंजरे को ,
मन विकल !
अच्छा लिखा आपने !
आपके पिछली पोस्ट्स के हाइकू भी शानदार हैं … हालांकि मुझे हाइकू लिखना भाता नहीं …
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीया मीनाक्षी जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
दम घुटता ,
तोड़दे पिंजरे को ,
मन विकल !
अच्छा लिखा आपने !
आपके पिछली पोस्ट्स के हाइकू भी शानदार हैं … हालांकि मुझे हाइकू लिखना भाता नहीं …
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सभी मित्रो को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
भावाभिव्यक्ति
हाइकु ही साधन
परदेस में
मीनाक्षी जी, गागर में सागर भर लाईं हैं आप। बधाई।
............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
सारे हाइकु एक से बढ़कर एक हैं..सुन्दर संदेश लिए
आदरणीय मीनाक्षी जी
नमस्कार !
...............बेहतरीन हाइकु, शुभकामनाएं
बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन
sundar sandesh deti hayku...
एक टिप्पणी भेजें