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गुरुवार, 17 जनवरी 2008

मेरे त्रिपदम (हाइकु)




कॉफी का प्याला
कागज़ कलम है
शब्दों की झाग

प्राण फूँकते
जादू से भरे हाथ
संजीवनी से

सलोना नभ
सुरमई मेघ हैं
साँवली घटा

तूफानी रात
तड़ित दामिनी सी
भयभीत मैं

छाया रहस्य
धूल से आच्छादित
मौन हैं बुत

साकी सोया सा
स्वेद सुरा को चख
सन्तुष्ट हुआ

16 टिप्‍पणियां:

Pankaj Oudhia ने कहा…

सचमुच अजब है कम शब्दो मे अपनी बात कहने का जादू। पता नही मै कब जादूगर बनूंगा।

Sanjay Karere ने कहा…

कम में ज्‍यादा

बेनामी ने कहा…

wah meenakshiji,bahut khub,coffe ka pyala aur shabdo ki jhag,kya baat hai.bhayabhit mein aur sawali ghata wala bhi behad sundar,sare ke sare achhe hai,samajh nahi pa rahi kaunse ki tariff karun,lots said in small lines great.

Unknown ने कहा…

एक मौन / तीन पैर पात / चढी कल्पना - rgds - manish

अजित वडनेरकर ने कहा…

कॉफी का प्याला
कागज़ कलम है
शब्दों की झाग

बहुत बढ़िया। त्रिपदम साधना जारी रहने दें। बाकी सब भूल जाएं।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

त्रिपदम् आप के
मुझ को लगे
टिप्पणियों से

Pratyaksha ने कहा…

हाथों से थामा
गर्म चाय की प्याली
आह ! गरमी

काकेश ने कहा…

सटीक

बेनामी ने कहा…

tum
mae
ham

great work meenakshi

anuradha srivastav ने कहा…

मीनाक्षी जी त्रिपदम के लेखन में सफल रहीं आप।

annapurna ने कहा…

मीना किसकी
तुम आकांक्षी
बताओ मीनाक्षी

अजय कुमार झा ने कहा…

meenakshi jee, aap mere liye kisi library se kam nahin

Sanjeet Tripathi ने कहा…

वाह!
आपके त्रिपदम तो दिन ब दिन धांसू होते जा रहे हैं।

अमिताभ मीत ने कहा…

बहुत अच्छा है मीनाक्षी जी. दरअस्ल, अच्छा नहीं, कमाल है. जो कह दिया वो बहुत अच्छा है, जो नहीं कहा, वो कमाल है. बधाई स्वीकारें..

mamta ने कहा…

खूबसूरत
कम मे ज्यादा।
बधाई हो।

मीनाक्षी ने कहा…

प्रशंसा पाई (5)
मन मस्त हो गया (7)
आभारी हूँ मैं (5)

आप सबने त्रिपदम में प्रशंसा की है तो मुझे भी आभार त्रिपदम में देना चाहिए...