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शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

जीवन का ज्वार-भाटा


नर और नारी

सागर किनारे बैठे थे 
झगड़ा करके ऐंठे थे 
रेत पर नर नारी लिखते 
लम्बे वक्त से मौन थे
नर ने मौन तोड़ा
नारी को लगा चिढ़ाने
दो मात्राओं की बैसाखियाँ
लिए हर दम चलती नारी
मै बिन मात्रा के हूँ नर
बिना सहारे चलता हरदम
नारी कहाँ कम थी
झट से बोल उठी
दो मात्राओं से ग़रीब
बिन आ-ई के फक़ीर
कमज़ोर हो तुम
बलशाली होने का
नाटक करते हो 
सुन कर नर भड़का
नारी का दिल धड़का
तभी अचानक लहरें आईं
रेत पर लिखे नर नारी को
ले गई अपने साथ बहा कर
गुम हो गए दोनों सागर में
जीवन का ज्वार-भाटा भी
ऐसा ही तो होता है .... !! 


38 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

बेहतरीन और अनूठी भावना अभिव्यक्ति .....आभार आपका !

kshama ने कहा…

Sach! Jeevan ka jwaar bhata aisahee hota hai!

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत खूब....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन!

सादर

Nidhi ने कहा…

बढ़िया एवं अनूठी ...

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

विभूति" ने कहा…

खुबसूरत अभिवयक्ति....

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

मीनाक्षी ,सच में आज तो तुमने बहुत बड़ी उलझन में डाल दिया है ..... अब तुम्ही बताओ इतना प्यारा सा सोचने पर तुम्हे नमन करूँ या दुलार ..... मन बहुत भर आया है .....

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

मीनाक्षी ,सच में आज तो तुमने बहुत बड़ी उलझन में डाल दिया है ..... अब तुम्ही बताओ इतना प्यारा सा सोचने पर तुम्हे नमन करूँ या दुलार ..... मन बहुत भर आया है .....

KRATI AARAMBH ने कहा…

सुन्दर बहुत ही सुन्दर |

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

मीनाक्षी ,सच में आज तो तुमने बहुत बड़ी उलझन में डाल दिया है ..... अब तुम्ही बताओ इतना प्यारा सा सोचने पर तुम्हे नमन करूँ या दुलार ..... मन बहुत भर आया है .....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मीनाक्षी जी, बात तो लाख टके की है,पर लोगों की समझ में आए तब।

------
कम्‍प्‍यूटर से तेज़...!
सुज्ञ कहे सुविचार के....

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति के साथ ....सटीक प्रस्तुति

vandana gupta ने कहा…

बिल्कुल अलग ख्यालो की उम्दा प्रस्तुति………जीवन का गणित समझाती हुई।

रेखा ने कहा…

नर नारी के झंझट में हम झगड़ते रहते है और ऐसे ज्वार भाटा जीवन मैं आकर हलचल मचाते रहते है

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

हम्म यह एक नया कोण है :)

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 09/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

vidhya ने कहा…

sach bahut khub kaha aap ne

Nidhi ने कहा…

anoothi...achchhi prastuti

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत ही बढि़या ... ।

vijay kumar sappatti ने कहा…

आपने बहुत बड़ी बात कह दी है मिनाक्षी जी .. काश ये सभी कि समझ में आ जाए .. इतने उम्दा लेखन के लिये दिल से बधाई ..

आभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

ghughutibasuti ने कहा…

बहुत ही अनूठी कविता लिखी है.पढ़कर अच्छा लगा.हम बेकार की बातों में उलझे होते है और समय का ज्वार भाटा अपना काम कर जाता है.
घुघूती बासूती

Arvind Mishra ने कहा…

यह चिरन्तन रार है
फिर भी सृजन की धार है
चहुँ ओरजहाँ गुलजार है :)

रचना दीक्षित ने कहा…

जीवन का ज्वार भाटा, नर नारी संबंध और उनका सामनजस्य, कितना कुछ समेट लिया आपने इस भावनात्मक कविता में.

स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.

Asha Joglekar ने कहा…

जीवन का ज्वार भाटा और प्रेम क्या बात है मीनाक्षी जी । सुंदर अभिव्यक्ति ।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

आज़ादी की सालगिरह मुबारक़ हो.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जीवन का ज्वार भाटा ऐसा ही होता है ... सच लिखा है आपने ... नर और नारी ... मात्राओं का फर्क पर फिर ही एक ही तो हैं .. नोकझोंक तो चलती रहती है ... पर अक्षर तो दोनों एक ही हैं ... पता नहीं शब्दों को छोड़ कर मात्राओं के झगडे में क्यों पड़े रहते हैं ...
नमस्कार मीनाक्षी जी ...

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

बहुत सुन्दर है.....
आप भी जरुर आये मेरी छोटी सी दुनिया में
MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
or
http://www.neelkamalkosir.blogspot.com

शोभना चौरे ने कहा…

bahut sundar

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब - अनुपम प्रस्तुति

Sanjay Karere ने कहा…

नर ने मौन तोड़ा...!!! हम्‍मम

Asha Joglekar ने कहा…

क्या बात है मीनाक्षी जी । जैसा आपने नर नारी के साथ किया है ऐसा ही खेल अंग्रेजी के सब्द वूमन के साथ भी होता है कि देअर इज ए मेन इन एवरी वूमन । WOMAN

Ojaswi Kaushal ने कहा…

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Rakesh Kumar ने कहा…

कमाल की प्रस्तुति है आपकी
नर नारी की तकरार और
फिर समुन्द्र की लहर में विलय.

वाह! आनंद आ गया पढकर.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

Udan Tashtari ने कहा…

जीवन का ज्वार भाटा....हाँ शायद ऐसा ही होता...

बहुत बढ़िया रचना.

Madan Mohan Saxena ने कहा…

जीवन का ज्वार भाटा....हाँ शायद ऐसा ही होता...
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको... सादर वन्दे
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