ज़िन्दगी एक बुलबुला है |
आज के दिन ........
" प्रेम ही सत्य है" ब्लॉग जन्मा था .... हमेशा ज़िन्दा रहेगा अंर्तजाल पर डॉ अमर कुमार की तरह .....
ब्लॉग को जन्म देने वाला न रहेगा.... कभी अचानक वह भी चल देगा डॉ अमर की तरह .....
चेतन जगत को लेकर कुछ ऎसे ही ख़्यालात मेरे भी हैं.. पर मृत्यु के बाद क्या और कैसे होगा.. यह नहीं सोचता ।
मूँदहू आँख कतऊ कछु नाहीं... कौन अपना जिया जलाये जिस तरह परिजन चाहें.. क़फ़न दफ़न करें, कुछ तो करेंगे ही, दुनिया को दिखाना होता है... वैसे न भी कुछ करें मृत प्राणी को क्या फ़र्क़ पड़ता है, जिन्दा में घात प्रतिघात.. मरने पर दूध भात ! on आख़िरी नींद की तैयारी
नहीं जी, कम से कम मैंने तो आपकी पिछली पोस्ट का कोई अनर्थ न लिया. बरसों पहले (शायद 1982 में) एक अठन्नी के बदले किसी अनाम फ़क़ीर ने दुआ दी कि, “ज़िन्दगी में हमेशा मालिक को, और मौत को याद रखा करो, ताउम्र बिना कोई गलती किए सुखी रहोगे.” यह सूत्र मैंने अपना लिया है, मुझे किसी बात से कोई भय नहीं लगता. एक दूसरा सूत्र और भी...लेकिन वह यहाँ उतना प्रासंगिक नहीं है. आपके होनहार द्वय के चित्र व संगीत सँयोजन उत्कृष्ट के आस कहीं पर ठहरे हुए हैं...किंतु चीकने पात दिख गए. on यही तो सच है......