(सन्ध्या के समय समुन्दर के किनारे बैठे बेटे विद्युत ने तस्वीर खींच ली,और हमने अपनी कल्पना में एक शब्द चित्र बना लिया. )
ममता भरे हाथों से सूरज को
वसुधा ने नभ के माथे पर सजा दिया
सजा कर चमचमाती सुनहरी किरणों को
साँवला सलोना रूप और भी निखार दिया
सागर-लहरें स्तब्ध सी रूप निहारने लगीं
यह देख दिशाएँ मन्द मन्द मुस्काने लगीं
गगन के गालों पर लज्जा की लाली सी छाई
सागर की आँखों में जब अपने रूप की छवि पाई
स्नेहिल-सन्ध्या दूर खड़ी सिमटी सी, सकुचाई सी
सूरज की बिन्दिया पाने को थी वह अकुलाई सी
रंग-बिरंगे फूलों का पलना प्यार से पवन झुलाए
हौले-हौले वसुधा डोले और सोच सोच मुस्काए
धीरे-धीरे नई नवेली निशा दुल्हन सी आएगी
अपने आँचल में चाँद सितारे भी भर लाएगी.
वसुधा ने नभ के माथे पर सजा दिया
सजा कर चमचमाती सुनहरी किरणों को
साँवला सलोना रूप और भी निखार दिया
सागर-लहरें स्तब्ध सी रूप निहारने लगीं
यह देख दिशाएँ मन्द मन्द मुस्काने लगीं
गगन के गालों पर लज्जा की लाली सी छाई
सागर की आँखों में जब अपने रूप की छवि पाई
स्नेहिल-सन्ध्या दूर खड़ी सिमटी सी, सकुचाई सी
सूरज की बिन्दिया पाने को थी वह अकुलाई सी
रंग-बिरंगे फूलों का पलना प्यार से पवन झुलाए
हौले-हौले वसुधा डोले और सोच सोच मुस्काए
धीरे-धीरे नई नवेली निशा दुल्हन सी आएगी
अपने आँचल में चाँद सितारे भी भर लाएगी.
9 टिप्पणियां:
सुंदर, चित्र भी और शब्दचित्र भी!!
सुंदर शब्द चित्र...
bahut sundar meenaxi di
bahut sundar meenaxi di
bahut hi sundar
शब्द चित्र भी बहुत सुंदर है.
वाह तस्वीर तो है ही खूबसूरत और उस पर यह रचना...क्या कहने...:)
सूरज का ऐसा चित्र कोई विद्युतीय व्यक्तित्व ही खीच सकता है। बढिया वाटरमार्क लगाया है। लिखा तो खैर हमेशा की तरह अच्छा ही है।
maan prafullit ho gaya meenaxig
bunty from mumbai
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