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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2008

कुछ पल मेरे अपने


मुम्बई से लौटे अभी दो दिन न बीते थे कि ईरान से अतिथि आ पधारे। भारतीय संस्कृति के अनुसार अतिथि को देव मान कर सत्कार में जुट गए। सुबह-सवेरे बेटों को स्कूल कॉलेज विदा करके मित्र को लेकर निकलते दुबई की प्रोपटी दिखाने, दोपहर घर आकर अपने हाथों से भारतीय व्यंजन पकाकर खाते-खिलाते , आराम करते शाम हो जाती , फिर निकलते शॉपिंग के लिए। आठ दिन इसी भागमभाग में बीते फिर आठ फरवरी को मित्र को ईरान के लिए रवाना किया और शाम की फ्लाइट से हम बच्चों के साथ साउदी अरब वीज़ा इकामा के काम से निकले।
इस दौरान एक दिन भी ब्लॉग जगत को नहीं भूले। यहाँ पतिदेव के पास एक ही लैपटॉप है जो शाम सात बजे के बाद ही मिलता है। सबसे पहले दोनों बेटों का नम्बर आता । जब तक अपनी बारी आती मन असमंजस में पड़ जाता । कुछ ही पलों में दुविधा दूर हो जाती , मन सोचता कि पूरे परिवार के साथ मिल-जुल कर रहने का आनन्द लिया जाए ।
यहाँ घर में टी०वी० है लेकिन कनैक्शन नहीं है सो मोबाइल को टी०वी० से जोड़कर रेडियो सुनते हैं। सोनी का एक बहुत पुराना डिजिटल कैमरा है जिससे घर की चारदीवारी के अन्दर की तस्वीरें खींचते रहते हैं। धूप के टुकड़े जब कमरों में आते हैं तो उनमें अपनी छाया की अलग अलग छवियाँ देखकर मन बहलाते हैं और कैमरे में कैद कर लेते हैं। रसोई में खाना पकाते पकाते खाने-पीने का अक्स उतार लेते हैं। खाना खत्म करते ही किताबों का स्वाद न चखा जाए तो खाना कैसे पचे सो किताबों के रस में डूब जाते हैं। फिलहाल आजकल यही दिनचर्या है ।

11 टिप्‍पणियां:

Sanjay Karere ने कहा…

चलिए ये भी ठीक है. उम्‍मीद है कि ब्रेक के बाद आप पहले से भी ज्‍यादा ऊर्जा और आवेग के साथ लिखेंगीं. सउदी अरब में आपकी छुट्टियां मजे से बीतें यही शुभकामनाएं हैं.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

इण्टरनेट और लैपटाप की तलब तगड़ी होती है - विड्रावल सिम्प्टम्स भी परेशान करते हैं। पर अन्तत: वह भी अच्छा होता है - जब नये ऑप्शन दीखते हैं।

Samrendra Sharma ने कहा…

परिवार के साथ भागमभाग का मजा ही कुछ और है,उम्मीद है कि घर आकर अच्छे अनुभव सुनने मिलेगे

Yunus Khan ने कहा…

आपकी बेक़रारी नज़र आई बलॉगिंग के लिए । लेकिन अच्‍छा लगा कि आप रेडियो सुन रही हैं आजकल । क्‍या रेडियोनामा से जुड़कर कुछ लिखने का विचार है मीनाक्षी जी । बताएं कि क्‍या सुन रही हैं ।

Unknown ने कहा…

jab fursat mile tabhi likhen.

Ashish Maharishi ने कहा…

मीनाक्षी दी ब्‍लॉगिंग से अधिक अहम तो रिश्‍ते हैं, उन पर विशेष ध्‍यान दें, बाकि हम लोग तो हैं ही

Sanjeet Tripathi ने कहा…

यही काफी है कि आप भूली नही हैं!!
एंजॉय कीजिए यह समय भी!!

Udan Tashtari ने कहा…

छुट्टियों का मजा लिजिये/// कब लौटना हो रहा है?

बेनामी ने कहा…

enjoy the break,aapke haiku ka hamesha intazaar hota hai.

travel30 ने कहा…

enjoy every moment of u r life :-)

latest Post :Urgent vacancy for the post of Girl Friend…

अजय कुमार झा ने कहा…

meenakshi jee,
saadar abhivaadan, chaliye shukra hai ki aap hamse door rah kar bhee hamein yaad to kartee hain . beech mein alpviram kar liya theek hai magar ab dobaaraa se niyamit aaeeye hum bahut miss karte hain .