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मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
ख़ानाबदोश ज़िन्दगी
बुधवार, 14 अप्रैल 2010
भूली बिसरी यादों की खुशबू....

भूली बिसरी यादों की खुशबू फिर से मन को महकाने लगी.... भूली बिसरी यादें ! नहीं नहीं.......... यादें तो बस यादें होती हैं..शायद यादें कभी भुलाई ही नही जा सकती........खूबसूरत यादें...ज़िन्दगी की दिशाओं को महकाती यादें.... पिछले दिनों जाना कि जीवन प्याला जो साँसों के अमृत रस से भरा है आधा छलक गया .... छलका उस पथ पर जिस पर अपने ही चल रहे थे....उन्ही अपनों ने आधे भरे प्याले का आनन्द उठाने की दुआएँ दीं.....
उन्ही अपनों का आभार कैसे और किन शब्दों में व्यक्त करें... गर वे अपने हैं तो फिर वे मन के भाव अपने आप ही समझ जाएँगे..... !
एक अर्से के बाद लौटे हैं ब्लॉग जगत में.... यहाँ की यादों को फिर से तरो ताज़ा कर लें फिर अपने बारे में कुछ कहेंगे....
मंगलवार, 1 सितंबर 2009
24वीं वर्षगाँठ पर ....
पहली सितम्बर की सुबह की लालिमा ...
सन्ध्या की कालिमा में बदल गई....
लेकिन हाथ की कलम में कोई हरकत न हुई.....
इस उमस के मौसम में .......
टूटे बदन सी शिथिल पड़ी रही कलम .....
सोचा था उसके बल पर कुछ लिख पाऊँगी
चौबीस सालों का लेखा-जोखा कर पाऊँगी.....
कल की ही तो बात थी.....
माँ बाबा ने जीवन साथी संग भेज दिया था..
सृष्टि की रचना के पुण्य कर्म करने को ...
धर्म निभाने को नई राह पर चला दिया था....
पतिदेव नहीं.... धर्म पति, सखा और मित्र बने....
आस्था, निष्ठा, श्रद्धा और विश्वास अटल ने
जीवन में अमृत रस था घोल दिया....!
अपने अपने आसमान में.....
हम दोनों जीवन संगी भी विचरते....
इक दूजे की सीमा में दाखिल न होते...
दूर गगन की छोर को छूने ....
हम भी उड़ते बेफिक्री से....
अजब ग़ज़ब सी शक्ति पाकर
फिर लौट के आते नीड़ में अपने...!
एक आसमान हम दोनो का भी....
जिसके नीचे दो नन्हें पौधें जन्में...
मिले सूरज चाँद बराबर दोनों को ..
स्नेह की वर्षा होती दोनो पर इक जैसी...
नन्हें पौधों से बढकर रूप बड़ा लेने को बेचैन
दोनों मगन हुए लगन से बढ़ते जाते....
अपना अपना आसमान छूने को उड़ते जाते..... !
गुरुवार, 27 अगस्त 2009
'प्रेम ही सत्य है' ब्लॉग का जन्मदिवस

शनिवार, 30 मई 2009
समझदार को इशारा काफी !
ग्यारहवीं कक्षा की परीक्षा के दिनों में अपनी सहेली के घर कुछ नोटस लेने गई..... शाम 6 बजे से पहले वापिस लौटने का वादा था लेकिन 7 बजे लौटी.... माँ ने दरवाज़ा खोला 8 बजे........... एक घंटा देरी से आने का एहसास हो गया था.... सज़ा भंयकर लेकिन इंसान गलतियों का पुतला... हर बार कोई न कोई गलती..... हाँ एक ही गलती को दुबारा दुहराने की नौबत कभी न आई....
धीरे धीरे चुपके चुपके जाने कब से यही मौन मुझमें आ बैठा..... लेकिन एक नए रूप में....माँ के मौन के आगे हम ठहर न पाते लेकिन हमारे बच्चे उस मौन को तोड़ने की हिम्मत करते हैं...
दोनों बेटे गलती करके खुद ही सामने आ बैठते हैं..... 'मम्मी, आप डाँटती क्यों नहीं.... चुप क्यों रह्ती हैं .......कभी कभी गलती पर डाँटना ज़रूरी होता है... तभी पता चलेगा कि आगे वही गलती नहीं दुहरानी है...' 'आप कभी नहीं कुछ कहतीं.... सब कुछ हम पर ही छोड़ देती हैं' ......
ऐसा सुनकर बस यही कहती...अपने देश में एक कहावत मशहूर है... बाप का जूता पाँव में आते ही बच्चे मित्र बन जाते हैं... फिर तो बस एक इशारा चाहिए और समझदार को इशारा काफी... एक उम्र के बाद अपनी गलती पहचानना और उसे फिर न दुहराना..... जिसे आ जाए.... वह जीवन में आने वाली मुसीबतों को आसानी से झेल जाएगा...
ऊँची आवाज़ में बोलने की ज़रूरत ही नहीं हुई..... कभी गलती हुई हो तो गलती करने के एहसास से ही एक दूसरे के सामने लज्जित होकर खड़े हो जाते क्योंकि परिवार के सभी सदस्यों के पैरों का साइज़ लगभग बराबर ही है......... कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं लगती... !
रियाद की शान -- बुलन्द ईमारतें

होटल की खिड़की से फैसलिया टॉवर और किंग़डम सेंटर दिखा तो सोचा कि आज इन बुलन्द ईमारतों की ही चर्चा की जाए.. यू.के. बेस्ड आर्चिटेक्ट फॉस्टर एंड पार्टंनर्ज़ द्वारा डिज़ाईन किया गया फैसलिया टॉवर रियाद की शान माना जाता है.. साउदी अरब की राजधानी रियाद के बीचों बीच बना यह टॉवर व्यापार का केन्द्र तो है ही इसमें शॉपिंग मॉल भी है जिसमें दुनिया भारत के मशहूर ब्रैंडज़ देखने को मिलते हैं...
दूर से यह ईमारत एक बॉलपॉएंट पेन की तरह दिखता है...जिसके चार मज़बूत बीम सबसे ऊपर पहुँच कर एक गोल्डन टिप से जुड़े दिखते हैं... एक गोल्डन टिप एक बॉल है..या कहिए कि एक ग्लोब है जो एक रिवोलविंग रेस्टोरेंट है....जिसमें बैठकर पूरे रियाद की खूबसूरती देखी जा सकती है...वहीं से रियाद की दूसरी खूबसूरत ईमारत किंगडम सेंटर दिखाई देता है....
किंग़डम सेंटर को बुर्ज अल ममलका भी कहा जाता है... 311 मीटर ऊँची ईमारत दुनिया की 45वीं ऊँची ईमारत है जिसे बेस्ट स्काईस्क्रेपर का एवार्ड भी मिला है... 99 फ्लोर्ज़ में 4 बेसमेंट भी हैं...व्यापार के इस केन्द्र में भी खूबसूरत शॉपिंग मॉल है..सबसे ऊपर 100 मीटर लम्बा डैक है, जहाँ से खड़े होकर पूरे रियाद को देखा जा सकता है... एक और खास बात है इस टॉवर में.... इसकी दूसरी मज़िल को लेडीज़ किंगडम कहा जाता है, जहाँ पुरुष दाखिल नहीं हो सकते...अल ममलका शॉपिंग मॉल और सिर्फ और सिर्फ औरतों के लिए है... जहाँ जाने माने 40 स्टोर्ज़ है ...लगभग 160 शोरूम्ज़ हैं जो औरतों द्वारा ही मैनेज किए जाते हैं... साम्बा बैंक की लेडीज़ ब्रांच ...लेडीज़ मॉस्क...रेस्टोरेंट ...कुल मिला कर औरतों से जुडी हर ज़रूरत को पूरा करता हुआ फ्लोर एक अलग ही मस्ती का माहौल दिखाता है....
शुक्रवार, 29 मई 2009
रेगिस्तान का रेतीला आँचल
दूर तक लम्बी काली सड़क बलखाती चोटी सी लगती है... उस पर लहराती रेत सा दुपट्टा सरक सरक जाता.... जिसे इंसान अपने मशीनी हाथ से एक तरफ सरका देता ....
निगाहें क्षितिज के उस छोर तक जाना चाहती हैं जहाँ आसमान रेगिस्तान की गहराई में डूबता दिखाई
बिजली की तारों पर नट जैसे करतब दिखाता चलने लगता.... उधर रेत की नटखट लहरें चक्रवात्त सी हलचल करके सूरज को गिराने की भरपूर कोशिश करतीं.... तो कहीं रेत अपनी झोली फैला कर लपकने को तैयार दिखती.....
