Translate
बुधवार, 14 अप्रैल 2010
भूली बिसरी यादों की खुशबू....
भूली बिसरी यादों की खुशबू फिर से मन को महकाने लगी.... भूली बिसरी यादें ! नहीं नहीं.......... यादें तो बस यादें होती हैं..शायद यादें कभी भुलाई ही नही जा सकती........खूबसूरत यादें...ज़िन्दगी की दिशाओं को महकाती यादें.... पिछले दिनों जाना कि जीवन प्याला जो साँसों के अमृत रस से भरा है आधा छलक गया .... छलका उस पथ पर जिस पर अपने ही चल रहे थे....उन्ही अपनों ने आधे भरे प्याले का आनन्द उठाने की दुआएँ दीं.....
उन्ही अपनों का आभार कैसे और किन शब्दों में व्यक्त करें... गर वे अपने हैं तो फिर वे मन के भाव अपने आप ही समझ जाएँगे..... !
एक अर्से के बाद लौटे हैं ब्लॉग जगत में.... यहाँ की यादों को फिर से तरो ताज़ा कर लें फिर अपने बारे में कुछ कहेंगे....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
24 टिप्पणियां:
baatein bhool jati hai yadein yaad ati hai...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
suman ji ka 'nice' yahan bhi....
बहुत इन्तजार के बाद आप लौटीं हैं..अब रमिये..नियमित हो जाईये.
स्वागत है। आशा है बेटा स्वस्थ होगा।
varun must be well now so nice to see you again
चलिए शुक्र है कि आप लौटीं तो सही । जैसा कि उडन जी कहते हैं अब नियमित हो जाईये तो क्या कहने । पोस्ट हमेशा की तरह उम्दा है और आज तो नशीली भी है ।
पोस्ट नशीली है, अच्छी है।
गर वे अपने हैं तो फ़िर वे मन के भाव अपने आप ही समझ जायेंगे....
फ़िर से लौटने का स्वागत है। नियमित होने की शुभकामनायें हैं!
स्वागत है पुनः ।
बहुत दिनों बाद आपको यहाँ देखना बहुत अच्छा लगा वरुण कैसा है ..लिखती रहे अब बहुत मिस किया आपको
बहुत दिन बाद आपका स्वागत करना अच्छा लग रहा हैं। आशा हैं मुलाकातो का दौर जारी रहेगा।
आपका पुन: सक्रिय होना हर्षित कर गया
वरूण दौड़ लगाने को तैयार है ना :-)
पुनर्वापसी का स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
स्वागत है जी, बहुत अनुभव हुये होंगे इस बीच। उनको प्रस्तुत किया जाये!
welcome back...hamara cake vaise abhi tak aaya nahi hai ...
स्वागत दी.
अब ना जाइयेगा कहीं
welcome back hai aapka, ab fir se jane ka nai.
vaise photo me Red Wine dekh ke laar tapak rahi hai ;)
Swagat hai aapka ... aasha hai sab kushal hoga ..
Yadon ke sahare he ham jee sakte hain. Wow what a flow of memories!
प्रेम ही सत्य है ? पर वो प्रेम है कौन
सा . वो प्रेम धारा कौन सी है जिसमें
सब समान है . न स्त्री है न पुरुष है
और जो अंतिम और अटल सत्य है
सच भी मैं आपको बता दूँ वो वही
है ..जिसकी खोज है और वास्तव
में कुछ खोजना भी नहीं हैं .बस
पलट कर देखनी हैं वे गलियां वे
कूचे वे घर जिन्हें हम कहीं दूर अद्रश्य
में छोङ आये और इस वीराने मैं
भटक गये . शुभकामनांए
satguru-satykikhoj.blogspot.com
स्वागत है जी, बहुत अनुभव हुये होंगे इस बीच। उनको प्रस्तुत किया जाये!
स्वागत ...सतत लेखन की शुभकामनाये.....
आपके लेखन में मौलिक सूझबूझ की है।
===========================
प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
जिसे आपने इंटरनेट पर उतारा॥
=======================
व्यंग्य उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमा रहा होता है।
http://dandalakhnavi.blogspot.com/2011/05/blog-post.html
=====================
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
सही है ...
उन हाथों में ओरेंज और इनमें रम ..
:)
अति सुंदर
एक टिप्पणी भेजें