
मृत्यु अंधकारमय कोई शून्य लोक है
या
नवजीवन का उज्ज्वल प्रकाशपुंज है
या
मृत्यु-दंश है विषमय पीड़ादायक
या
अमृत-रस का पात्र है सुखदायक
तन-मन थक गए जब यह सोच सोच
तब मन-मस्तिष्क मे नया भाव जागा ------
मेरे पास सिर्फ एक लम्हा है
जो प्यार से लबालब भरा है !!
इस लम्हे को बूँद बूँद पीने दो
इस लम्हे को पल-पल जीने दो !
उसे बचपन सा मासूम ही रहने दो
मस्त हवा का झोंका बन बहने दो !
यौवन रस उसमें भर जाने दो
झर-झर झरने सा बह जाने दो !
इस लम्हे को ओस सा चमकने दो
इस लम्हे को मोम सा पिघलने दो !
इस लम्हे को मोम सा पिघलने दो !
पतझर के पत्तों सा झर जाने दो
झरझर कर पीले पत्तों सा गिर जाने दो !
लम्हा बना है अनगिनत पलों से कह लेने दो
लम्हा अजर-अमर है, इस मृग-तृष्णा में जीने दो !!






