दिल्ली से दुबई तक गणतंत्र दिवस का जश्न देखने और मनाने का आनंद अलग ही सुख दे रहा है. कई बरसों बाद पहली बार विश्व पुस्तक मेला देखा और अब गणतंत्र दिवस देखने का सौभाग्य मिला चाहे टीवी के सामने. दसवीं क्लास से कॉलेज ख़त्म होने तक हर साल परेड पर घर परिवार और मित्रों को लेकर जाने का ज़िम्मा जोश से पूरा करती थी. कॉलेज के आख़िरी साल में एन॰एन॰सी॰ की बदौलत ग़ैरिसन ग्राउंड में शामिल होने की याद भी ताज़ा हो गई.
"बादल, बिजली, बारिश
और महफ़ूज़ घरों में हम
सैनिक डटे सीमाओं पर
हर पल रखवाली में व्यस्त"
"देश महल है मेरा
सजा सुनहरे कँगूरों से
मेरा दिल सजदा करता
नींव की ईंट बने वीरों का"
देश-विदेश के सभी मित्रों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ !!
"बादल, बिजली, बारिश
और महफ़ूज़ घरों में हम
सैनिक डटे सीमाओं पर
हर पल रखवाली में व्यस्त"
"देश महल है मेरा
सजा सुनहरे कँगूरों से
मेरा दिल सजदा करता
नींव की ईंट बने वीरों का"
देश-विदेश के सभी मित्रों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ !!
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