मेरे घर के गमले में
खुश्बूदार फूल खिला है
सफ़ेद शांति धारण किए
कोमल रूप से मोहता मुझे ....
छोटे-बड़े पत्थर भी सजे हैं
सख्त और सर्द लेकिन
धुन के पक्के हों जैसे
अटल शांति इनमें भी है
मुझे दोनों सा बनना है
महक कर खिलना
फिर चाहे बिखरना हो
सदियों से बहते लावे में
जलकर फिर सर्द होकर
तराशे नए रूप-रंग के संग
पत्थर सा बनकर जीना भी है !!
14 टिप्पणियां:
सौंदर्य के साथ प्रण - इसमें भी सौंदर्य और खुशबू
फूल होना है तो पत्थर भी !
दोनों विपरीत मगर परिस्थितियां भी तो एक सी होती नहीं !
सुन्दर !
सुंदर रचना....
दोस्तों गुगल समूह की कामयावी के बाद अब एक मंच फेसबुक पर भी प्रारंभ किया गया है। उमीद है, यहां भी आप इस मंच को अपना स्नेह देंगे। गुगल समूह पर ये मंच जारी रहेगा।
इस मंच की सदस्यता लेने के लिये मोबाइल सदस्य
https://m.facebook.com/groups/322981874542410
तथा अन्य सभी सदस्य
https://www.facebook.com/groups/322981874542410
पर जाकर अपनी सदस्यता ले सकते हैं।
आज ही फेस बुक पर भी इस मंच की सदस्य बनें।
सुन्दर भाव 1
दोनों का अपना ही महत्व है न फूल बनना आसान है न पत्थर और जो दोनों का संगम ही पा जाये तो फिर बात ही क्या......सुंदर भावाभिव्यक्ति।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज मंगलवार को चुरा ली गई है- चर्चा मंच पर ।। आइये हमें खरी खोटी सुनाइए --
शांति दूत सा सुन्दर प्यारा सफ़ेद फूल ...
बहुत बढ़िया
Behad Sunder
बढ़िया लेखन व रचना , मीनाक्षी जी धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ ~ ( ब्लॉग पोस्ट्स चर्चाकार )
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति।
खूबसूरे खूबसूरत भाव लिए खूबसूरत कामना.
ऐसा ही हो.
हमारी भी तो यही चाह है :)
चाह दोनों बातों की पूरी हो जरूरी नहीं ...
दोनों की अहमियत एक दूजे से बनी हुई है ...!
एक टिप्पणी भेजें