"नारी-मन के प्रतिपल बदलते भाव जिसमें जीवन के सभी रस हैं। " मीनाक्षी
दोनों ही सुंदर विचार हैं
साधू साधू
bahut sundar ,badhai ....
सूरज ओर पौधे दोनों ही लाजवाब अपनी अपनी जगह ..वैसे इन दोनों का साथ भी बहुत पुराना है ... शायद पृथ्वी के साथ ...
सभी मित्रों का धन्यवाद...दिगम्बरजी....पृथ्वी है तो प्रकृति है और हमारा वजूद भी उसी के साथ है..
बहुत सुन्दर....शब्द नहीं हैं
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6 टिप्पणियां:
दोनों ही सुंदर विचार हैं
साधू साधू
bahut sundar ,badhai ....
सूरज ओर पौधे दोनों ही लाजवाब अपनी अपनी जगह ..
वैसे इन दोनों का साथ भी बहुत पुराना है ... शायद पृथ्वी के साथ ...
सभी मित्रों का धन्यवाद...दिगम्बरजी....पृथ्वी है तो प्रकृति है और हमारा वजूद भी उसी के साथ है..
बहुत सुन्दर....शब्द नहीं हैं
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