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शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

कल रात मैं रात के संग थी...



कल रात मैं रात के संग थी
तन्हाँ सिसकती सी रात को ....
समझाना चाहा ...
हे रात ! तुम्हें ग़म किस बात का 
साए तो सदा साथ रहते हैं अंधेरों के... 
देखो तो दिवस को ... 
पहर दर पहर 
साए आते जाते हैं 
फिर साथ छोड़ जाते हैं... 
दिन ढलता जाता है 
और फिर मर जाता है...! 
हम भी कितने पागल है
यूँ ही बस किसी अंजान साए के पीछे भागते हैं... 

20 टिप्‍पणियां:

Sanjay Karere ने कहा…

बहुत बढि़या ...

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत जबरदस्त!!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अंधकार से ही प्रकाश उत्पन्न होता है।
सुंदर कविता।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

raat ne suna kya ?

बेनामी ने कहा…

per kahawat kuch aur bayan kartee hai "Andhrey main sya bhee sath chor deta hai"
बहुत जबरदस्त,बहुत जबरदस्त-
Puran Chand

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हम भी तो यूँ ही भागते रहते हैं सायों के पीछे ... अच्छी रचना

Suman ने कहा…

हम भी कितने पागल है
यूँ ही बस किसी अंजान साए के पीछे भागते है !
बहुत सुंदर .........

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

जवाब में रात ने कहा
मेरे आगोश में
जोड़े तो ऐसे भी हैं
जो साथ देते हैं
रात भर
जीवन भर
वफ़ा को जांचने का
पैमाना ले तू पहले
और फिर
तू कभी
अकिली न रहेगी .

-अनवर जमाल
की तरफ से
एक तोहफ़ा

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Correction
और फिर
तू कभी
अकेली न रहेगी .

Satish Saxena ने कहा…

यही जीवन है ....यहाँ साथ नहीं मिलता !
शुभकामनायें आपको !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जिंदगी में अनजान साये न होँ तो डर... खुशी ... कोतुहूल के मायने नहीं रह जायेंगे ... और फिर अक्सर अपने साये भी तो अनजान ही तो होते हैं ...

मीनाक्षी ने कहा…

@संजयजी, समीरजी...शुक्रिया
@द्विवेदीजी..और प्रकाश से अन्धकार..
@रश्मिजी...रात ने सुना और कुछ कहा भी... :)
@बेनामी पूरनचन्दजी...आपकी टिप्पणियाँ हमेशा उत्साह देती हैं लेकिन अगर आपका परिचय मिलता तो मानव सुलभ उत्सुकता खत्म हो जाती..
@संगीताजी...यही तो करते हैं हम ताउम्र
@सुमनजी...शुक्रिया
@डॉजमाल...रात से आपकी गुफ़्तग़ू अच्छी रही.. ...आपका तोहफ़ा नायाब...रात से हमारी क्या बात हुई फिर कभी..
@सतीशजी...आपने भेद जान लिया.. यही सच है...अकेले आए हैं अकेले ही जाना है...!!

मीनाक्षी ने कहा…

@दिगम्बरजी...अकेला आना और जाना दर्शन है तो सोच का यह फ़लसफ़ा ज़िन्दगी को खूबसूरत बना देता है...जहाँ हँसते हँसते रोना और रोते ही हँसी फूट पड़ती है....

vidhya ने कहा…

आप का बलाँग मूझे पढ कर आच्चछा लगा , मैं बी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

मै नइ हु आप सब का सपोट chheya
joint my follower

vandana gupta ने कहा…

सच कह दिया…………बहुत खूब्।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत गहन चिंतन समा दिया कुछ पंक्तियों में..बहुत सुन्दर

Sunil Kumar ने कहा…

इसीको जीवन कहते है ..सुंदर अतिसुन्दर रचना , बधाई

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

कितनी सरलता से आप इतना कुछ कह देती हैं।

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सञ्जय झा ने कहा…

........
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pranam.

Abhishek Ojha ने कहा…

रात की प्रतिक्रिया जानने की भी उत्सुकता हो चली है. उसका ग़म तो वही बता सकती है न. !