आज की ‘अरब न्यूज़’ में जब पाकिस्तानी बच्चे रिज़वान के मिलने की खबर पढ़ी
तो दिल को राहत मिली...11 साल का रिज़वान पकिस्तानी इंटरनेशनल स्कूल में
छठी क्लास में पढ़ता है.. चार भाई बहनों में बड़ा है..गणित के पेपर की तैयारी के लिए
ट्यूशन गया था फिर नहीं लौटा....दो चार घरों की दूरी पर पैदल ही चला
जाया करता था उस दिन भी गया लेकिन डरा हुआ बाल मन....अगले दिन के पेपर
की पूरी तैयारी न हो पाई...कम नम्बर आने के डर से ट्यूशन पढ़के निकला और टैक्सी
करके मक्का पहुँच गया... जद्दा से मक्का टैक्सी से एक घंटे में पहुँच जाते हैं..पता नहीं रिज़वान
ने टैक्सी वाले को क्या कहा होगा जो उसे अकेले ही मक्का के हरम तक पहुँचा दिया.....
इधर माता पिता का बुरा हाल....याद आने लगा जब वरुण विद्युत को बोर्ड पेपरों के दिनों में
ऐसे ही छोड़ आया करते थे... जब तक वे घर नहीं लौटते थे, जान अटकी रहती थी... कई कहानियाँ सुनते थे जो अखबारों में छपती नहीं थी....इसलिए और भी डर लगता.... समझ सकती थी रिज़वान के माता पिता के दिल का हाल...खाना पीना सोना दुश्वार हो गया होगा....
कई लोगों ने उसे हरम में अकेले देखा होगा...शायद उसकी किस्मत अच्छी थी जो कुछ अच्छे लोगों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया..पुलिस ने रिज़वान के पिता को फौरन फोन किया और सही सलामत घर पहुँचा दिया..इस दौरान पाकिस्तानी काउंसिल जर्नल और सभी दोस्तों के प्यार और साथ ने ही उन्हें हौंसला दिया...
ऐसे कितने ही बच्चे हैं यहाँ जिनके मन को माता पिता समझ नहीं पाते....इसलिए बच्चे उनसे दूरी
बनाकर अपने मन की दुनिया में अकेले रहने लगते हैं..वहाँ का अकेलापन और भी तकलीफ़देह होता है. मातापिता अपने सपनों को पूरा करने के लिए बच्चों को साधन बनाते हैं जिसका बच्चों पर बहुत गहरा असर पड़ता है. बच्चे अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं कि किसी भी तरह वे अपने माँ बाप को खुश कर सकें जब ऐसा नहीं कर पाते तो कई तरह के गलत रास्ते चुन लेते हैं ....
2 टिप्पणियां:
मासूम बचपन का ममता के मूल स्रोत से बिछड़ना....इसकी कल्पना भी मुझे व्याकुल कर देती है।
उम्दा अभिव्यक्ति...
ओह!! ख़ुदा का शुक्र है कि रिजवान सही सलामत घर वापस लौट आया...पर उस टैक्सीवाले को कुछ शुबहा क्यूँ नहीं हुआ??...इतने छोटे बच्चे को अकेला ले गया. उसे ही पुलिसवालों के पास ले जाना चाहिए था....इतना चौकस तो इनलोगों को रहना ही चाहिए.
मेरी पोस्ट यहाँ शेयर करने का बहुत बहुत शुक्रिया
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