सुबह की दिनचर्या से फुर्सत पाते ही पहला काम होता है देश विदेश के समाचार जानना.. ताज़ी खबरों के साथ साथ पुरानी खबरों को दुबारा पढ़ना कम रोमांचक नहीं होता...जिस देश में रहते हैं पहले वहाँ की खबर जानने की उत्सुकता रहती है.
मध्यपूर्व देशों की अशांति देख कर एक अंजाना सा डर लगा ही रहता है कि कभी यहाँ भी ऐसा कुछ हो गया तो क्या करेंगे... कुछ असर तो साउदी अरब पर होना ही था .. असर देखा गया काले लबादो से ढकी 20-30 औरतों पर जो गृह मंत्रालय के बाहर अपने रिश्तेदारों की रिहाई की गुहार लगाने आ पहुँची थीं. कैदी जिस कारण से भी अन्दर हों या बिना ट्रायल सालों से कैद में हों...वह बाद की बात थी....
हैरानी इस बात की थी कि औरतें कानून तोड़ कर घरों से अकेली बाहर निकली थी. ...जिन्हें अकेले घर से निकलने का अधिकार नहीं है.., ड्राइव करने का हक नहीं है..... उन्हें वोट देने का अधिकार कब मिलेगा, यह तो ऊपर वाला ही जाने.....लेकिन फिर भी उनमें से कुछ निडर औरतें बिना मर्दों के रियाद पहुँच गईं थी. सरकार गुस्से में थी कि बिना किसी इजाज़त के इस तरह धरने पर बैठने की हिम्मत कैसे हुई उन औरतों की. सरकार औरतों की आर्थिक मदद करती है जिनके भी मर्द किसी न किसी कारण जेल में बन्द होते हैं... अधिकतर लोग आतंकवाद से जुड़े होने के शक के कारण ही पकड़े जाते रहे हैं..
इसी तरह की हिम्मत देश के और भी कई इलाकों में देखने सुनने को मिली.. पिछले कुछ सालों से जद्दा में आई बाढ़ के कारण लाखों का नुक्सान हुआ..उससे नाराज़ लोगों ने आवाज़ उठाई कि राजा को इस बारे में कुछ सोचना चाहिए... बेरोज़गारी के कारण घर जुटाना भी एक आम अरबी के लिए बहुत मुश्किल काम है.... उनकी आवाज़ अभी उठी ही थी कि राजा के कान खड़े हो गए....
इतने सालों से जो नहीं हुआ था , आज अरब देशों में हो रही खतरनाक हलचल के कारण हो गया. अमेरिका में इलाज कराने गए किंग ने फौरन मिलियन बिलियन डॉलरज़ लोगों को दिए जाने का एलान कर दिया...खरीदे गए घरों की बाकि बची किश्तें माफ कर दी गई... रीयल एस्टेट्स को नए घर बनाने का आदेश दिया गया..क्यों कि 76% साउदी लोगो के पास रहने के लिए घर नहीं है और हर घर में कम से कम एक तो बेरोज़गार है ही.(यह आँकड़े फेसबुक के ज़रिए निकाले गए थे). बेरोज़गारों को मिलने वाला पैसा बढ़ा दिया गया..... वेतन दुगुने कर दिए गए...बोनस भी साथ दिया गया....
बन्दर के मुँह में केला देकर कुछ वक्त के लिए तो मदारी उसे अपने बस में कर सकता है लेकिन कब तक....आग तो लग चुकी है.... गर्मी भी महसूस होने लगी है ... बस लपटों के आने का इंतज़ार है...
स्वार्थी मन कहता है पहले अपना हित फिर परहित.... मन ही मन दुआ करते हैं कि अभी यहाँ एक दो साल शांति रहे तो अच्छा है अपने लिए... !
2 टिप्पणियां:
महिलाएँ जाग रही हैं....अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो रही हैं....आज ना कल वहाँ भी वे अपने अधिकारों के लिए जरूर आवाज़ बुलंद करेंगी
बहुत ही जानकारीपूर्ण बढ़िया पोस्ट
दिए गए लिंक बुकमार्क कर लिए हैं...उन्हें भी पढ़ती हूँ..
शुक्रिया रश्मि..एक लिंक वीडियो का भी है...हैरान तो हुई...खुशी भी हुई कि औरते हिम्मत करके आवाज़ उठाने घर से बाहर निकली...लेकिन अभी एक ताज़ा खबर है कि इस बार भी वोट देने की आज़ादी नही मिली..
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