एक हफ्ते से सोच रहे हैं कि कैसे पतिव्रता नारी बन कर दिखाएँ... इतने दिनों बाद रियाद लौटे हैं.... पतिदेव की कुछ सेवा की जाए...... लेकिन साहब हैं कि हम से पहले ही उठ कर तैयार हो कर ..नाश्ता वाश्ता करके हमें ‘गुड मॉर्निग’ कह कर निकल जाते हैं....नींद को झटका देकर जब तक आँख खुलती है तो वे निकल चुके होते हैं....
सारा दिन इसी सोच में गुज़र जाता है कि अगले दिन पक्का उठेंगे....
अभी तक तो सफ़लता मिली नहीं ,,,, जाने कल .......
घर के सामने ही मस्ज़िद है... फ़ज़र की अज़ान बहुत ज़ोरों से होती है लेकिन न जाने क्यों हमें ही सुनाई नहीं देती..विजय के लिए अज़ान सुनते ही फौरन उठ जाते हैं...आँखों पर सूरज की तेज़ किरणें दस्तक देतीं हैं तो नींद खुलती है.......खिड़की खोलते हैं तो उसी मस्ज़िद की मीनार के पीछे से चिलकता सूरज आग उगलता सा घूरता सा देख रहा होता है..... सूरज को प्रणाम करके वहीं खिड़की की ओट में बैठ जाते हैं..प्रणाम करते ही सूरज देवता प्रसन्न हो जाते हैं....ताज़ी हवा का झोंका और सूरज की मुस्कुराहट तन मन को गहरे तक तरो ताज़ा कर देती हैं... बरसों बाद ऐसा मौका मिला है कि बिस्तर पर बैठे बैठे ही उदय होते सूरज को निहारने का मौका मिल रहा है...
वहीं बैठ कर सुबह की पहली चाय की चुस्कियाँ लेती हूँ... कभी कभी यह एकांतवास भी मन को अच्छा लगता है ....दिल्ली में काम वाली बाई की खटपट , धोबी और कूड़ा ले जाने वाले की आवाज़ें... कबाड़ी और सब्ज़ीवाले की सुरीली तानें ...कुछ भी तो नहीं सुनाई देता.... चार पाँच बार अज़ान की सदा और आती जाती कारों की आवाज़ें .... बस...इतना ही.... हॉर्न तो यहाँ बजता ही नहीं....
विजय जानते हैं कि यहाँ आकर हम लिखने पढने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकते.... इसलिए अपना लैपटॉप घर पर रख कर जाते हैं... मेरा लैपटॉप रिपेयर के लिए गया हुआ है... खैर...... लिखने से ज़्यादा पढने का भूत सवार रहता है ...... जाने क्यों.... शायद अपने ही मन की बात किसी न किसी ब्लॉगर के लेखन में पढ़ कर महसूस होता है कि यही तो था मेरे मन में...उन्हें पढ़कर बेहद सुकून मिलता है....
12 टिप्पणियां:
hamnae naari blog banaya haen
aap sae aagrh haen wahaan jarur aaye
aap kae vichaar jaan kar hamko khushi hogi
aap ko agar blog theek lagae to aap us ko joi bhi kar saktee haen
saadar
rachna
http://hindibloggerwoman.blogspot.com/
उन्हें भी पत्नीव्रता बनने का अवसर मिलना चाहिए. छिनिए मत.
घुघूती बासूती
होली मुबारक....लिखने के रुटीन में आ जाईये बस!!!
छीनिए*
घुघूती बासूती
@समीरजी, आपको भी होली मुबारक...यहाँ नेट पर होली के रंग देख खुश हो रहे हैं..लिखने की रुटीन में बस आते हैं...
@घुघुतीदी, पत्नीव्रत पति के लिए ही पतिव्रता बनने का जी चाहता है :)
मुबारक हो! सुबह , किरणें और पतिजी का लैपटाप!
bahut achchi lagi aapki saral baaten.
एक बेहतरीन अश`आर के साथ पुन: आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है.
होली की सपरिवार रंगविरंगी शुभकामनाएं |
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
यह लालच मुझे भी है.. मैं भी सोच रहा हूँ कि अपने विचार किसी ब्लॉग पर लिखे देखूं.. तो शुरू कीजिये.. इंतज़ार रहेगा.
क्या बात है.....भरपूर एन्जॉय कीजिए...बड़ी मुश्किल से मिलते हैं ये दिन...और पूरा ब्लॉग जगत तो है ही आपके साथ....पढ़ते-पढ़ते लिखना भी शुरू कर दीजिये...
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