पिछली पोस्ट में अपने आप को अनफिट कहा क्योंकि अपने देश के साँचे में फिट होने के लिए तपने की ज़रूरत है, वैसा न करके हम पाप के भागीदार हो जाते हैं..... आज कहती हूँ कि मैं अपराधिनी भी हूँ ..... अत्याचार करने वाले से अधिक अत्याचार सहने वाला दोषी होता है...... कई दिनों का मौन आज टूटा जब रसोईघर की अल्मारियों को अन्दर से पैंट करने के लिए खोला गया....... पड़ोसी ने बेदर्दी से किचन की दीवार ऐसे तुड़वाई जिसे देख कर एक और सदमा लगा..... किचन केबिनेट के अन्दर टूटी दीवार देख कर दिल बैठ गया..... इंसान इतना स्वार्थी हो गया है कि एक पल के लिए नहीं सोचता कि खाली हाथ आए हैं खाली हाथ ही जाना है.....
मन ही मन अपने आप को कई नाम से पुकारने लगती हूँ....कभी अपने आप को कोसती हूँ कि क्यों नहीं घर के बाहर खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर पड़ोसी की सोई हुई आत्मा को जगा दूँ.... फिर खुद ही अपने आप पर हँसने लगती हूँ ..... सोई हुई आत्मा को तो जगाया जा सकता है लेकिन जहाँ आत्मा मर चुकी हो वहाँ पत्थर पर सिर पटकने वाली बात हो जाती है........
कहा जाता है 'यथा राजा, तथा प्रजा' फिर लोगों को दोष देने का कोई लाभ नहीं..... घर के पिछवाड़े पानी की अनगिनत टंकियाँ बहती हुई देख कर लगता है जैसे इंसानियत बह कर गटरों में गुम हो रही है...... क्यों न हो...जब देश के नेता दूध के टैंक सड़कों पर बहाते हुए नहीं सोचते कि हज़ारों नवजात शिशु दूध के बिना मर जाते हैं....
14 टिप्पणियां:
अब लोगों की इस फितरत को कैसे बदला जाये....पर आपको पड़ोसियों से बताना तो था न ...
स्वार्थ में तो अंधे ही होते जा रहे हैं आज के लोग !!
TAKE ACTION
DO SOMETHING
kuch kariaye
यह तो आपराधिक है !
kuch kariye, dont keep mum
दुखद और शर्मनाक।
अब लोगों की इस फितरत को कैसे बदला जाये..?
.......शर्मनाक।
sach bolu, achha h aap india me nhi h, yha ke logo ki bura dekhte dekhte aur karte karte samvednaye hi mar gyi h.
vaise, happy independence day.
bat karne se kai bate hal ho sakti hai ji ...
agar unhone anjane galti ki ho to ?
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मीनाक्षी जी,
कुछ लोग ला-इलाज होते हैं, बर्दाश्त कर लीजिये।
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्सचमुच बहुत गलत बात है यह।
agar aap angar hi andar paresan hote ho inse to baheta hai, aap ek bar padosi se kahte, aage se atchi traha se rahe otherwise me aap ke khilaf action lugi,
send me ur e-mail adress
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