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शनिवार, 12 जून 2010

आज भी उसे इंतज़ार है .. !


















एस.एम. बेहद खुश थी...बारटैंडर ने वोडका का तीसरा गिलास उसके सामने रख दिया था... तीसरे गिलास के बाद न पीने का वादा मन ही मन किया...लज़ानिया ठंडा हो चुका था...उसने काँटे से एक टुकड़ा काटना चाहा लेकिन चीज़ का लम्बा धागा खिंचता चला गया और उसने उसे वापिस प्लेट में रख दिया...
बहुत देर से वह एम.के. को दूर से ही देख रही थी...वह भी अकेला बैठा था... एक ही गिलास कब से उसके सामने था जिसे खत्म करने का कोई इरादा नहीं लग रहा था उसका...न जाने कैसा आकर्षण था उसमें......कई बार दोनो की नज़रें मिलीं........ किसी दूसरे देश में किसी अजनबी के साथ बात करने का कोई कारण नहीं था.... इसलिए एस.एम ने अपनी आँखें बन्द कर ली और संगीत का आनन्द लेने लगी...
हमेशा की तरह संगीत सुनते ही उसकी भूख प्यास खत्म हो जाती और पैर थिरकने लग जाते......उसे संगीत के लिए किसी भाषा की ज़रूरत नहीं लगती थी.....मधुर लय पर पैर अपने आप ही थिरकने लगते.... अपनी धुन में मस्त उस पल को पूरी तरह से जीना चाहती थी.. आँखें अधखुली सी...होठों पर मुस्कान..... एक ही साँस में वोडका खत्म करके वह अकेली ही डांस फ्लोर पर जाकर खड़ी हो गई..... धीरे धीरे संगीत की धुन तेज़ होती जा रही थी....उसके पैर भी उतनी ही तेज़ी से थिरक रहे थे.......... अचानक लड़खड़ा कर गिर जाती कि अचानक किसी ने उसे सँभाल लिया....
उसकी मज़बूत बाँहों के घेरे में आते ही एस.एम को एक अजब सी कँपकँपी हुई... एम.के. ने उसे लपक कर पकड़ लिया था.....उसकी आँखों में गज़ब की कशिश थी...........उसकी आँखों की तेज़ चमक देखकर एस.एम. झेंप गई....उसे लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो....सँभलने की कोशिश में फिर से लड़खड़ा गई....एम.के. की बाँहों में आते ही जैसे उसे बहाना मिल गया अजनबियत दूर करने का...
उसने किसी तरह से अपने आप को समेटा...एम.के. ने पूछा कि वो ठीक तो है...एस,एम. ने शुक्रिया कहना चाहा लेकिन संगीत की ऊँची आवाज़ में दोनों की आवाज़ें दब रही थीं...दोनों बाहर लॉबी में आ गए... पल भर में दोनों का अजनबीपन दूर हो गया...... एम.के. व्यापार के सिलसिले में यहाँ आया था.... एस.एम. छोटी बहन के घर छुट्टियाँ बिताने आई थी...
धीरे धीरे एम.के. और एस.एम. की मुलाकातें बढ़ती गईं... दोनों आज़ाद पंछी जैसे खुले आसमान में जी भर कर उड़ने लगे थे ....दोनों के दिल और दिमाग में रंग-बिरंगी तितलियाँ बस गईं थी...एक दूसरे की खुशबू ने मदमस्त कर दिया था.... कुछ दिन जैसे कुछ पलों में बीत गए... एक दिन अचानक एम.के. वापिस आने का वादा करके चला गया......
मॉम्म्म्म्म...प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज़ डोंट गो आउट टुडे ..... बेटे की आवाज़ सुनकर एस.एम के बाहर जाते कदम अचानक रुक गए...लेकिन.....'आई विल कम बैक सून...माई लव' कहती हुई वह निकल जाती है.....चार साल से हर शाम एस.एम. उसी 'बार' में जाती..... एक गिलास वोडका लेती और कुछ देर बैठ कर लौट आती....
आज भी उसे इंतज़ार है एम.के. का........

19 टिप्‍पणियां:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

जिन्‍दगी की सच्‍चाई से रूबरू कराती कहानी। बढिया है।

पवन धीमान ने कहा…

Bahut Sunder... Virah vedna, ek tees ke saath...

पवन धीमान ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
M VERMA ने कहा…

बहुत सुन्दर ..

वाणी गीत ने कहा…

इत्तिफाकन मिले कुछ लोग जीवन भर का इन्तजार दे जाते हैं ...!!

ZEAL ने कहा…

Part and parcel of life !

संजय भास्‍कर ने कहा…

वर्तमान हालात का गज़ब का चित्रण किया है।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपके शानदार ह्रदय के प्रति सादर शुभकामनायें !

दिलीप ने कहा…

waah bahut sundar prem aur intzaar kya khoob bayan kiye...

Udan Tashtari ने कहा…

ओह! काश! इन्तजार पूरा हो...

विवेक रस्तोगी ने कहा…

ओह दुख, सुख, प्रेम और ममता सब कुछ पिरो दिया आपने शब्दों में, बहुत खूब।

जो लोग जल्दी दूरी घटा लेते हैं, उनको पहले जाँचना परख लेना चाहिये, नहीं तो हमेशा इंतजार ही करना होता है।

Arvind Mishra ने कहा…

महीन मानवीय मनोभावों को आपकी लेखनी बहुत ही प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करती है और हर बार एक नया सीख दे जाती है !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

जीवन बेतरतीब का नाम है

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मन स्पर्श करती हुयी ।

Unknown ने कहा…

आपकी लेखन शैली मे बहुत कसावट है. प्रेम, विरह और यादे. सब एक साथ.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

काश एक बार इंतज़ार खत्म हो ... अच्छी कहानी

सदा ने कहा…

भावमय करते शब्‍द ..।

vandana gupta ने कहा…

उफ़्………दिल को छू गयी।

रेखा ने कहा…

काश ,ये इंतजार जल्दी ही ख़त्म हो जाए ....