मौसम बदलने की इस प्रक्रिया में ऐसे लगता है जैसे जलते तपते सूरज से बचने के लिए धरती रेत का आँचल ओढ़े इधर से उधर भाग रही हो... तेज़ धूप में झुलसते पेड़ पौधों को भी उसी आँचल से छुपा लेती है जैसे कोई माँ अपने बच्चे को अपनी गोद में ले लेती है...... उसी तरह हरेक पर अपना आँचल फैलाने की कोशिश में जलने तपने की सब पीड़ा भूल जाती है, तभी तो इसे धरती माँ कहते हैं....
शुक्रवार (जुमे) का दिन... यही एक छुट्टी का दिन होता है जब बाहर के काम निपटाए जाते हैं.
नाश्ते में ज़ातर और जैतून के तेल के साथ एक चौथाई खुब्ज़ लिया. वरुण के हाथ की बनी स्पैशल मसालेदार(काली मिर्च और अदरक पाउडर) चाय का आनन्द लिया. कुछ देर अपने देश की राजनीति-आर्थिक व्यवस्था पर बातचीत हुई. धर्म और पाखंडों पर भी बहस हुई ...इन विषयों पर जितनी बेबाक चर्चा अपने किचन की मेज़ पर हो सकती है और कहीं नहीं की जा सकती...
उसी दौरान निश्चित हुआ कि किचन का सामान खरीदने के लिए सबसे नज़दीक के ऑथेम मॉल में जाया जाए, जो हमारे लिए नया था. जब हम मॉल में दाख़िल हुए तो आखिरी सला (इशा) पढ़ी जा रही थी. उस वक्त सब दुकानें बन्द थी.. हर सला पर अक्सर आदमी नमाज़ पढने निकल जाते हैं और औरते वहीं बैठ कर नमाज़ खत्म होने का इंतज़ार करती हैं, कुछ औरतें भी दुआ पढ़ती नज़र आ जाती हैं. ऐसा दिन में चार बार होता है.. खरीददारी का समय ऐसा तय किया जाता है कि दो नमाज़ों के बीच में ज़ब ज़्यादा समय मिलता है या आखिरी सला के बाद ही बाहर निकला जाता है...
नाश्ते में ज़ातर और जैतून के तेल के साथ एक चौथाई खुब्ज़ लिया. वरुण के हाथ की बनी स्पैशल मसालेदार(काली मिर्च और अदरक पाउडर) चाय का आनन्द लिया. कुछ देर अपने देश की राजनीति-आर्थिक व्यवस्था पर बातचीत हुई. धर्म और पाखंडों पर भी बहस हुई ...इन विषयों पर जितनी बेबाक चर्चा अपने किचन की मेज़ पर हो सकती है और कहीं नहीं की जा सकती...
उसी दौरान निश्चित हुआ कि किचन का सामान खरीदने के लिए सबसे नज़दीक के ऑथेम मॉल में जाया जाए, जो हमारे लिए नया था. जब हम मॉल में दाख़िल हुए तो आखिरी सला (इशा) पढ़ी जा रही थी. उस वक्त सब दुकानें बन्द थी.. हर सला पर अक्सर आदमी नमाज़ पढने निकल जाते हैं और औरते वहीं बैठ कर नमाज़ खत्म होने का इंतज़ार करती हैं, कुछ औरतें भी दुआ पढ़ती नज़र आ जाती हैं. ऐसा दिन में चार बार होता है.. खरीददारी का समय ऐसा तय किया जाता है कि दो नमाज़ों के बीच में ज़ब ज़्यादा समय मिलता है या आखिरी सला के बाद ही बाहर निकला जाता है...
इस दौरान हमने खूबसूरत मॉल का एक चक्कर लगाने की सोची... जिसमें एक तरफ ‘बिग बाज़ार’ की तरह बहुत बड़ा स्टोर दिया और दूसरी तरफ़ होम सेंटर...दूसरी मज़िल पर कुछ खास दुकानें जिसमें कपड़े, जूते, पर्स और मेकअप का सामान था...तीसरी मंज़िल पर ‘फूड कोर्ट’ और बच्चों के खेलने बहुत बड़ा ‘फन एरिया’. पैसा खर्च न हो इसलिए शायद आदमी लोगों को शॉपिंग से कोसों दूर भागते हैं लेकिन अपने बच्चों के साथ फूड कोर्ट या फन लैंड में दिख जाते हैं. औरतें ब्यूटी पार्लर में या शॉपिंग में मशगूल....
हर बार रियाद आने पर कुछ न कुछ बदलाव दिखता है... धीरे धीरे ही सही लेकिन बदलाव होता तो है...इस धीमे बदलाव से भी लोगों के मन में आशा की किरण जागती है और जीना आसान हो जाता है.
फूड कोर्ट में औरतों के लिए भी अलग काउंटर्ज़ थे जहाँ कुछ औरतों को खाना खरीदते हुए देखा...
एक और जो बात हमें पसन्द आई कि पर्दे से ढके केबिन के अलावा खुले में भी परिवारों के बैठने का प्रबन्ध था... अपनी इच्छा से पर्दे में या बाहर खुले में बैठने की सुविधा देखकर हमने बाहर ही बैठने का निश्चय किया हालाँकि उस जगह को भी चारों तरफ से नकली पौधों से ढका गया था...
पहली बार जैसे खुले मे साँस लेते हुए खाने का आनन्द आएगा, यह सोचकर हम उस काउंटर पर पहुँचे जहाँ ‘सी फूड’ था. वहाँ के बोर्ड पर लज़ीज़ खाने की तस्वीरों को देख कर भूख और भी बढ़ रही थी... ‘रेप फिश’ का नाम पढ़ कर हम चौंक गए.. सोचा काउंटर पर जाकर इस बारे में पूछे पर उन महोदय को तो अंग्रेज़ी का ए,बी,सी भी नहीं आता था और हम इतने सालों यहाँ रह कर भी अरबी में कच्चे ही रहे....(हिन्दी में लेख होने के कारण अरेबिक की जगह अरबी लिखना ही सही लगा)
रेप फिश पर बहस होने लगी कि शायद लोकल फिश मोस्टल है जिसे बनाने में रेपसीड के तेल का प्रयोग किया होगा... रेपसीड सरसों के ही परिवार का सदस्य है. कहीं कहीं तो इसके फल फूल और डालियाँ भी खाई जाती हैं..वरुण बोला कि शायद स्पैनिश तरीके से बनाई गई फिश हो जिसे ‘रेप अल लिमून’ या ‘फिश इन लेमन सॉस’ कहा जाता है जो मैडिटेरियन सी में पाई जाती है।
दस मिनट पूरे हो चुके थे सो बेटा खाने की ट्रे लेने पहुँचा....उसने दुबारा काउंटर पर खड़े लड़के से पूछने की कोशिश की लेकिन वह कुछ न बता पाया...खैर हमने मछली का आनन्द लिया जिसमें कुछ अलग ही स्वाद था शायद रेपसीड तेल या नीम्बू या सिरके की खटास के कारण.....मुँह के स्वाद को बदलने के लिए वरुण ने पैशन फ्रूट आइसक्रीम खाई. चखने पर बचपन याद आ गया जब गर्मी के दिनों मे हम खट्टे मीठे शरबत फ्रीज़र मे जमने के लिए रख देते थे....दोपहर के खाने के बाद खूब शौक से खाते और गर्मी भगाते.....खाना पीने का आनन्द लेकर घर के खाने-पीने का सामान लेने निकल पड़े...!
(अपने मोबाइल से कुछ तस्वीरें लेने का मोह न रोक सके हालाँकि तस्वीरे लेने की मनाही है)
8 टिप्पणियां:
नयनाभिराम चित्र -रेप फिश का मामला /रेसिपी मुझे भी कुछ समझ में नहीं आया
आप के वर्णन में बहुत ताजगी है। वैसे रेपफिश समझ नहीं आई। अब हम जैसे निपट शाकाहारी की उस में रुचि भी कैसे हो सकती है?
ब्लौगर मित्र, आपको यह जानकार प्रसन्नता होगी कि आपके इस उत्तम ब्लौग को ब्लॉगजगत में स्थान दिया गया है. ब्लॉगजगत ऐसा उपयोगी मंच है जहाँ हिंदी के सबसे अच्छे ब्लौगों और ब्लौगरों को ही प्रवेश दिया गया है, यह आप स्वयं ही देखकर जान जायेंगे.
आप इसी प्रकार रचनाधर्मिता को बनाये रखें. धन्यवाद.
आप वापिस लौट आईं हैं, मैं तो इसी से खुश हूँ। मछली तो खाती नहीं। फोटो देख साऊदी अरब के दिन याद आ गए।
घुघूती बासूती
मजा आ गय...चित्र बहुत बढ़िया है.
गोया के यानि के सारे फोटो गैर कानूनी हुए .......
Rape Fish--
Rape al Limon, or Fish in Lemon Sauce is a fresh, light dish from the region of Valencia, situated on the Mediterranean Sea on the eastern coast of Spain. Valencia is famous for its oranges and its citrus in general. Although this dish is prepared in Spain using monkfish.
It is an easy and quick dish to prepare, especially nice for the Spring, since it is light and lemony, and can be served with rice or potatoes.
@द्विवेदीजी और मिश्रजी, आइन्दा शाकाहारी भोजन पर ही चर्चा करेंगे...
@समीरजी, याद आया कि आपको तो तालाब की मछली पसन्द है.
@घुघुतीजी,आप सब की दोस्ती इस ओर खींच ही लाती है.
@डॉ.अनुराग, जहाँ रोक-टोक होती है, वहीं तो ऐसे काम करने का आनन्द होता है:)
@zeal..thanks for ur comments. by the way i also gave link for Rape al Limon..
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