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सोमवार, 2 जून 2008

कई दिनों के बाद .....

कई दिनों तक कई जिम्मेंदारियां निभाते हुए चाह कर भी ब्लॉग पर लिखने का वक़्त ही नही मिला. सोचा था पतिदेव के घर जाकर मौका पाते ही जितने भी कागज़ रंगे हैं सब पोस्ट दर पोस्ट लिख दूँगी. जल्दी में अपने हिन्दी फोंट्स ले जाना भूल गयी. खैर ढूँढने पर कई लिंक्स मिले लेकिन सउदी सर्वर ऐसा की सब बेकार, इधर हम ठान चुके थे कि किसी भी तरह एक पोस्ट तो ज़रूर लिखेगे सो अब हिन्दी मीडिया की इस साइट में आकर ऐसा सम्भव हो पाया.
बस दुआ कर रही हूँ कि सर्वर डाउन न हो.

अभी अभी पतिदेव ऑफिस के लिए निकलें हैं और दोनों बच्चें सो रहें हैं. वरुण का लैपटॉप चुपचाप उसके कमरे से ले आए हैं और जो भी मन में आ रहा है लिख रहें हैं.

कई दिनों से चक्की रोई चूल्हा रहा उदास कि लय पर कुछ लिखने का मन कर रहा है ----

कई दिनों से चिट्टा रोया , चित्तचोर रहा उदास
कई दिनों से मैं भी रोई , हालत रही ख़राब ....
कई दिनों से काम कई थे, सौ सौ नही हज़ार
कई दिनों से जान अकेली, वक़्त बड़ा अज़ाब...

कई दिनों से काम किए, संवारा बच्चे - घरबार
कई दिनों की मेहनत रंग लाई, आधी नैया पार
कई दिनों की गिनती पूरी, बेटे दोनों पास ....
कई दिनों की सोई इच्छा पूरी हो गयी आज

बड़ा बेटा इंजिनियर बन गया ..... छोटे बेटे का स्कूल खत्म हुआ .... लेकिन जीवन रुकता कहाँ है.... नदिया की धारा जैसे आगे ही आगे बहता जाता है. आजकल सउदी अरब में हैं. छोटा बेटा १८ साल का होगा सो उसका परिचय कार्ड बनना है जिसे अरबी भाषा में इकामा कहते हैं. पूरे परिवार को ११ महीने बाहर रहने की इजाज़त मिलेगी.
दस दिन बाद दुबई लौटेंगे, दुबई के ही एक कॉलेज में छोटे बेटे का एंट्रेंस टेस्ट है. उसकी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू होगा. बड़े बेटे को दूसरी सफलता के लिए तैयार करना है.. लेकिन उससे पहले एक कहावत को चरितार्थ करना है.... सेहत हज़ार नियामत .....

अभी इतना ही ....हिन्दी लिखने का रास्ता मिल गया है ....

दम्माम की चारदीवारी में खाने पीने के बाद लिखना पढ़ना और संगीत सुनने का ही आनंद ले रहें हैं . बाहर जाने का मौका शाम को ही मिलता है सो.........

कई दिनों की चुप्पी टूटेगी, बातें होंगी हज़ार
कई दिनों की सिमटी यादें निकलेंगी हर बार ....

11 टिप्‍पणियां:

admin ने कहा…

जहाँ चाह है, वहाँ राह है।

बालकिशन ने कहा…

आपकी वापसी सुखद हो. यही कामना है.
बहुत ही अच्छा लिखा आपने.
अकाल और उसके बाद की याद आ गई.

Unknown ने कहा…

आपकी चाह ने तो वाकई राह निकाल ली...

डॉ .अनुराग ने कहा…

कई दिन...हमे दिख गये है कागजो पर ........barha फॉण्ट रतलामी जी से ले ले ऑफ़ line भी वर्क करता है हिन्दी के लिये......

mamta ने कहा…

मीनाक्षी जी पहले तो बधाई स्वीकार करें दोनों बेटों के पास होने की।
और हमारी मिठाई ड्यू रही। :)

अच्छा लगा बहुत दिन बाद आपको पढ़कर।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

चाहत हिंदी लिखने की और चाहत ब्लॉग्स की,इन्ही दो बातों ने आखिरकार पोस्ट लिखवा ही दी आपसे, गुड है!
शुभकामनाएं आप सभी को!

Udan Tashtari ने कहा…

कई दिनों की चुप्पी टूटेगी, बातें होंगी हज़ार
कई दिनों की सिमटी यादें निकलेंगी हर बार ....

-बिल्कुल जी. इन्तजार रहेगा.

बेटों को हमारी बधाई और आपको भी.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बधाई जी! और आपकी पोस्टों की प्रतीक्षा रहेगी।

बेनामी ने कहा…

bahut achha laga aapko dekh kar,kabhi kabhi zindagi vyasta bana deti hai hame,apne liye bhi fursat na mile,aapke dono ladlo ko khub saari tarakki mile,safalta mile yahi dua hai.

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दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

चलिए आप ने रास्ता बना लिया।

मीनाक्षी ने कहा…

बिल्कुल सही है ...जहाँ चाह वहां राह निकल ही आती है.....
ममता जी, मिठाई ही नही पार्टी भी,, हम गोवा घूमने का अपना सपना पूरा करेंगे तो मिलेंगे...आप दुबई भी आ सकते हैं...
महक जी , आपका आशीर्वाद मिला और मन खुश हो गया कि दोनों को आगे भी सफलता मिलेगी .....
आप सब का .बहुत बहुत शुक्रिया......