स्मृतियाँ लौटीं , शैशव की याद आई
घुटनों के बल कितनी माटी खाई
चूड़ियाँ माँ की कानों में खनकी
भूली यादों से आँखें भर आईं
ममता की चक्की चलती चूल्हा जलता
स्नेह भरे हाथों से फिर खाना पकता
रोटी पर माखन साग को ढकता
दही छाछ जो पेट को फिर भरता
खोजते नन्हे पैर तपती धूप में छाया
धूल भरी राहों में डोलती वो काया
चोरी से बेर तोड़ना बेहद भाता था
मन-पंछी सैंकड़ों सपने लाता था
सन्ध्या का सूरज रक्तिम आभा को लाता
दीपक का प्रकाश घर-भर में छा जाता
बेटी की सुन पुकार टूट गया सपना
जैसे पीछे कोई छूट गया हो अपना
खट्टी मीठी यादों का टूटे सँग ना
फिर याद आ गया छूट गया अँगना
21 टिप्पणियां:
पोस्ट ने बचपन की स्मृतियां ताजा कर दीं!
बहुत अच्छा है मिनाक्षी जी. ख़याल भी, और शब्द भी.
बहुत सुंदर.
सहज शब्दों मं गुथी हुई प्यारी कविता...
bahut khubsurat yaadien bachpan ki,bahut sundar kavita.
सुंदर भाव!!
घुटनों के बल कितनी माटी खाई
कितने सुंदर भाव है ये दी……
स्मृतियाँ लौटीं , शैशव की याद आई
घुटनों के बल कितनी माटी खाई
आपकी ये पंक्तिया वाकई में बचपन में ले गयी.. बहुत ही बढ़िया भाव है इस रचना में.. बधाई स्वीकार करे..
सुंदर कविता... भावनाओं को अच्छा समेटा
काश कि सचमुच हम बचपन में लौट जाएँ... आप सबका धन्यवाद .
कविता बहुत करीब सी लगी और इसके साथ का चित्र छायावाद का प्रतीक :-) :-)
आहा बचपन .......
बहुत अच्छा जी!
शैशव की यादों के इतने सहज और
शिशुवत चित्र उकेर दिए आपने कि
कविता हर पाठक के बचपन की यादों का
कारवाँ-सा लेकर पेश आ रही है.
अबोध अवस्था का ऐसा बोधगम्य चित्रण
प्रायः कठिन होता है.
मुझे लगता है इस कविता में आपने
शैशव को लिखा नहीं बल्कि जिया है !
कविता में यह सर्जक का
पुनर्जन्म है !!!
बधाई और शुभकामनाएँ.
मिनाक्षी जी
बचपन फ़िर से लौटने का शुक्रिया. दिल को छू लेने वाली रचना है.
नीरज
जीवन का सुंदर सच प्रस्तुत किया है आपने ,बचपन की स्मृतियां ताजी हो गयी ,सुंदर अभिव्यक्ति , बधाईयाँ !
bahut umda meenakshi ji ...vahi galti jo joshimjike sath ho rahi thi aapke sath hui,aapke blog ko kholta tha to madhushala vala panna hikhulta...mujhe laga aap kahi busy hai..kal joshimji sath checkkiya,aor aaj aapke sath....ab aapki purani rachnaye aaram se padunga......
बहुत अच्छे -
फूटे घुटने की टीस कहाँ, अब अंगना नया बनाया है,
मेहनत की बिजली धूप वहाँ, ममता का पानी छाया है
[ यहाँ नौकरी ने रोक लगाया है ]
Hello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =). If possible gives a last there on my blog, it is about the GPS, I hope you enjoy. The address is http://gps-brasil.blogspot.com. A hug.
फिर याद आ गया छूट गया अँगना
बहुत सही चित्र उकेरा आपने मीनाक्षी जी -
बचपन का कोई सानी नहीँ जहाँ घर , माता , पिता भाई बहनेँ और
सुख का साम्राज्य फैला रहता है-
बधाई !
स स्नेह
-लावण्या
कितने सुंदर भाव है
एक टिप्पणी भेजें