त्रिपदम (हाइकु) नामकरण मन भाया सबके ,
यह पढ़कर मन मेरा अति हर्षाया
सकूरा जैसी मन-भावन सुन्दरता लेके,
जन्म लें त्रिपदम हर दिन मन में आया!
प्रफुल्लित हुआ मन मेरा प्रशंसा आपकी पाकर
त्रिपदम मेरे पढ़ने होंगे गहराई में जाकर !
भोर सुहानी
प्रकृति की नायिका
रवि मुस्काया
* * *
कुछ कहतीं
लहरें पुकारती
रहस्यमयी
* * *
जलधि जल
पानी का कटोरा सा
छलका जाए
11 टिप्पणियां:
सुन्दर, मीनाक्षी जी त्रिपदम को विकसित कीजिये । ऐसे ही हाईकू पर प्रयोग अनवरत चलता रहे । णन्यवाद ।
चलिए यह ठीक है. आप लिखें, हम गहराई में जाकर ही पढ़ेंगे..
त्रिपदम का धन्यवाद भी त्रिपदम में। कवियित्री को यह सहूलियत है। :-)
गद्य लिखने वाला तो एक पैरा लिखे तो भी वह प्रभाव न आ पाये धन्यवाद में।
सुंदर!!
वाकई ज्ञानदत्त जी का कहना सही है।
प्रसन्नता प्रफुल्लित
खुश रहे मुदित मत तेरा
प्रमाद न करे बसेरा
त्रिपदम ने डाला
मेरे मन पर भी डेरा
जोर चला न मेरे मन पर मेरा
सुंदर है। पर ये अचानक नामकरण संस्कार की सूझी कैसे ....ज़रा इस पर कुछ बताइये। जिज्ञासा है, दिलचस्प भी होगा जानना। या हो सकता है संदर्भ सबको पता हो , सिर्फ मुझे नही। मैं ज़रा गाफिल रहता हूं, सो ऐसा होता है अक्सर । बताएं ज़रूर।
संजीव जी, संजय जी, ज्ञान जी, संजीत जी , अविनाश जी और अजित जी आप सबका धन्यवाद...
ज्ञान जी गद्य गहरा सागर जैसा
लेखन गम्भीर, चिंतन भी वैसा
जुगनू नन्हा सा चमके जैसा !
त्रिपदम बस जगमग करता वैसा!
बढ़िया है। हम भी हैं वाह-वाह कहने वालों में।
यूं ही कहीं देख लें बाग़
तो दिल मचल जाता है
फोटो में ही क्यों न देख लू वृक्ष
शेर कहने का जजबात उमड़ आता है
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आपके यह कविता देखते ही यह शब्द मेरे मन में आये
दीपक भारतदीप
जलधि जल
पानी का कटोरा सा
छलका जाए
बहुत सुंदर ..
हाइकू कुछ हज़म नहीं हुए.
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