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रविवार, 9 दिसंबर 2007

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह ! !

सुबह सुबह हाथ में आज का अखबार....उत्तर बगदाद में 180किमी दूर एक शहर के रिहाइशी इलाके में एक सुसाइड कार बम से कई मरे और कई घायल हुए.....नज़र पड़ी ज़ख्मी रोती हुई बच्ची के चित्र पर .. दिल और दिमाग सुन्न.... क्यों दर्द सहन नहीं होता... क्यों इतना दर्द होता है...

(बेटे ने रोती हुई बच्ची की तस्वीर न लगाने का अनुरोध किया है)

मैं तर्क दे रही थी कि तस्वीर लगाने का एक ही मकसद होता है कि शायद उस मासूम बच्ची के आँसू देखकर इंसान के अंतर्मन में हलचल हो लेकिन बेटे का अलग तर्क है उसका कहना है बच्ची जो दर्द महसूस कर रही है,
वैसा दर्द और कोई महसूस नहीं कर सकता.... मेरे चेहरे की उदासी और आँखों में उभरते सवाल को पढ़कर फौरन बोल उठा ,,,माँ की बात अलग होती है.... कहता हुआ धीरे धीरे अपने कमरे की ओर चल दिया.

इस गीत को सुनिए जो मेरे दिल के बहुत करीब है ....




अल्लाह...... अल्लाह ......
ओ.... दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह
ओ.... दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
ओ.... दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह

मैंने तुझसे चाँद सितारे कब माँगे
मैंने तुझसे चाँद सितारे कब माँगे
रोशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह

सूरज सी इक चीज़ तो हम सब देख चुके
सूरज सी इक चीज़ तो हम सब देख चुके
सचमुच अब कोई सहर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह

या धरती के ज़ख्मों पर मरहम रख दे
या धरती के ज़ख्मों पर मरहम रख दे
या मेरा दिल पत्थर कर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह

9 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

पता नहीं कैसा वातावरण है और कैसी तड़फ। यह तो दर्द की पराकाष्ठा ही होगी।

अभय तिवारी ने कहा…

दारुण.. !!

36solutions ने कहा…

धन्‍यवाद

बेनामी ने कहा…

दर्द को लिख्नना और समझना इतना आसन नही। जिस पर बीतती है वही इंसान उसकी पीड़ा को समझ सकता है। हम भाव प्रकट कर सकते है, सांत्वना दे सकते है, आर्थिक रुप से मदद कर सकते है, अपनी पीड़ा का अनुभव से दूसरे की पीड़ा को समझने की कोशिश कर सकते है। मुझे आपके बेटे की कही बात एकदम सही लगती है और भावनात्म्क रुप में छूती है

बालकिशन ने कहा…

बहुत दर्द भरा लेख और उतना ही दर्द भरा गीत.
आपके बेटे ने बहुत बड़ी बात कही. क्या उम्र है?
और मैं "अस्तित्व" से सहमत हूँ.

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

क्या कहूँ..? यदि यही भाव सब में आ जायें तो ये सब ही क्यों?

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बच्ची जो दर्द महसूस कर रही है,
वैसा दर्द और कोई महसूस नहीं कर सकता....
कितनी सच्ची बात कही आप के बेटे ने.यदि इस दर्द का अंशमात्र भी किसी दूसरे को होने लगे तो शायद दुनिया से अत्याचार और क्रूरता का अंत हो जाए. इंसान कुछ भी करले उसके अन्दर का जानवर कभी नहीं मरता.
नीरज

Manish Kumar ने कहा…

सही कहा आपके पुत्र ने...जिस पर बीतती है वही महसूस कर सकता है..

Divine India ने कहा…

पता नहीं मैं अब दर्द को सही में सुख का मात्र अभाव मानता हूँ दर्द नहीं।
यह एक पराकाष्ठा है फिर भी सुख का अभाव।