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गुरुवार, 25 अक्तूबर 2007

तपता - हँसता जीवन !

सूरज का अहम देख कर
चन्द्र्मा मन ही मन मुस्करा उठा
और सोचने लगा -
अपनी आग से सूरज
धरती को देता है नवजीवन ही नहीं
मन-प्राण भी उसका झुलसा देता है.
धरती के हरयाले आँचल से
टके हुए ओस के मोती चुरा लेता है.
स्वयं पल-पल जलता है
और प्रकृति का रोम-रोम भी जला देता है
अपने आप में भूला, जलता जलाता सूरज
मेरे आसितत्व को ही भुला देता है
समझता नहीं सूरज कि मैं भी
धरती के मन-प्राणों में शीतलता भर देता हूँ
अपनी सुषमानूभूति से मैं
जलती धरती को मुस्काना सिखा देता हूँ.
मैने दोनो को हँस कर देखा
और सोचा कि मेरे जीवन में
दोनों का ही महत्त्व है ---
सूरज जीवन में जलना तपना सिखाता है
चन्द्र्मा जलते-तपते जीवन में हँसना सिखा देता है......!

13 टिप्‍पणियां:

Sajeev ने कहा…

ये एक bachhe की नज़र से पिता और माता को देखने जैसा है, पर एक स्त्री होने के karan shyaad आप स्त्री पक्ष के प्रति अपना मोह छुपा नही पायी

Ashish Maharishi ने कहा…

बेहतरीन कविता है..बस लिखना जारी रखे

Udan Tashtari ने कहा…

सूरज जीवन में जलना तपना सिखाता है
चन्द्र्मा जलते-तपते जीवन में हँसना सिखा देता है......!

--बहुत सही-एक शीतल कविता-अच्छा लगा पढ़कर.

note pad ने कहा…

भोली कविता ।
आपकी पाकशाला वाली पोस्ट भी अच्छी लगी थी ।वहा समयाभाव से कमेन्टियाई नही थी ।यही वास्तविकता है स्त्री की । पाकशाला मे‍ ही रहते रहते सब रस-रन्ग -रूप भोगने है‍।

Divine India ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत कविता है साथ-2 एक संदेश भी लेकर आया है… अगर यह सच सभी को समझ आ जाए तो दु:ख की संवेदना समाप्त हो सकेगी…। हमारे जीवन में सभी वस्तुओं का महत्व समान है…।

Atul Chauhan ने कहा…

कभी बचपन में सूरज और हवा की बहस की कहानी पढी थी। आज फिर याद ताजा कर दी आपने। बहसपूर्ण कविता रोचक है।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

सुंदर!!

Pankaj Oudhia ने कहा…

'और सोचा कि मेरे जीवन में
दोनों का ही महत्त्व है ---'

और हम पाठको के लिये आप 'तीनो' का महत्व है। :)

sanjay patel ने कहा…

चाँद मुझे ज़्यादा सुहाता है
क्योंकि ज़िन्दगी के तमाम ताप
में शीतल बने रहने का संदेस हर रात दे जाता है
सूरज के आग़ोश में रहता है
लेकिन फ़िर भी ख़ुद को नहीं तपाता है
हर रात शीतलता दे जाता है
चाँद मुझे ज़्याद सुहाता है

Asha Joglekar ने कहा…

जीवन दर्शन सिखा दिया जी आपने तो । बहुत सुंदर।

Kavi Kulwant ने कहा…

बहुत अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आकर.. आप्को मेरी शून्य कविता पसंद आई धन्यवाद..

Shastri JC Philip ने कहा…

"और सोचा कि मेरे जीवन में
दोनों का ही महत्त्व है ---
सूरज जीवन में जलना तपना सिखाता है
चन्द्र्मा जलते-तपते जीवन में हँसना सिखा देता है......!"

एकदम सत्य. हम में से अधिकतर लोग इस तरह से समग्र विष्लेषण नहीं करते हैं -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है

मीनाक्षी ने कहा…

व्यस्त जीवन मे से कुछ पल टिप्पणी मुझे देने को बिताए
मुझे पढ़ा और सराहा , हैरान हुए फिर हरषाए !!