संजय जी , मेरे विचार में शब्द और चित्र एक दूसरे के पूरक हैं. शब्दों से हम मानस पटल पर जीवंत चित्र खींच देते हैं. मूर्त और अमूर्त चित्र देख कर शब्द स्वत: जन्म लेने लगते हैं.
नए प्रयोग को आप सबने सराहा इसके लिए सबका बहुत बहुत धन्यवाद. आप सब जो पहले ही हाइकू की विधा में कुश्ल हैं उन्हें आभार कि मेरे लिए रास्ता साफ हो गया. ज्ञान जी मेरे पास मिट्टी के कुछ शो पीस हैं उनमें से एक यह मेरा सबसे प्रिय है.मोबाइस से तस्वीर खींच कर लगा दी है.मूर्ति को देख कर ही हाइकू ने जन्म लिया है.
क्यों नहीं संजय जी ! अब तो समीर जी की बात "अच्छी परंपरा है सब खुल कर बात करते हैं. यही तो अपनापन है." याद करते हुए हम इस परिवार के और भी करीब आते जा रहे है.
13 टिप्पणियां:
हिन्दी चिठ्ठाजगत मे लगातार नये प्रयोगो के लिये आभार। बहुत बढिया।
भले मूरत मिट्टी की
सीरत सच्चाई की है।
एक उम्दा तस्वीर
में नई है तदबीर।
लगता है शब्द का वजूद ख़तरे में आ सकता है ऐसे चित्रों से.रूहानी है ये तस्वीर.
संजय जी , मेरे विचार में शब्द और चित्र एक दूसरे के पूरक हैं. शब्दों से हम मानस पटल पर जीवंत चित्र खींच देते हैं. मूर्त और अमूर्त चित्र देख कर शब्द स्वत: जन्म लेने लगते हैं.
मीनाक्षी जी आपके खिंचे चित्र के क्या कहने लगता है चित्र के साथ एक पूरी कहानी कहा गया ये हायकू
सुनीता(शानू)
बहुत सुन्दर लिखा है आपने। फोटो भी बिल्कुल मेलखाता है हाईकु से।
सुन्दर
क्या चित्र है
?!
कविता भरा
आपने खींचा।
नए प्रयोग को आप सबने सराहा इसके लिए सबका बहुत बहुत धन्यवाद. आप सब जो पहले ही हाइकू की विधा में कुश्ल हैं उन्हें आभार कि मेरे लिए रास्ता साफ हो गया.
ज्ञान जी मेरे पास मिट्टी के कुछ शो पीस हैं उनमें से एक यह मेरा सबसे प्रिय है.मोबाइस से तस्वीर खींच कर लगा दी है.मूर्ति को देख कर ही हाइकू ने जन्म लिया है.
बढ़िया!!
कलात्मक रुचि झलकती है आपकी!!
दीप बेला नज़दीक है....दीये के इर्द-गिर्द कुछ चित्र हों तो उन्हें भी जारी कीजिये दीदी.
क्यों नहीं संजय जी ! अब तो समीर जी की बात "अच्छी परंपरा है सब खुल कर बात करते हैं. यही तो अपनापन है." याद करते हुए हम इस परिवार के और भी करीब आते जा रहे है.
बेहतरीन चित्र पर सुन्दर हाईकु अभिव्यक्ति.
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