बहुत दिनों बाद आज अवसर मिला अकेले समय बिताने का , अपनी इच्छानुसार अपने आप से मिलने का एक अलग ही आनन्द है. ऐसा नहीं कि आस-पास के रिश्ते बोझ लगते हैं लेकिन कभी कभी एकांत में अपने आप में खो जाना अलौकिक आनन्द की अनुभूति देता है. घर की दीवारें वही हैं लेकिन उस चार दीवारी में बैठा मन-पंछी चहचहाता हुआ इधर से उधर उड़ता अपने बन्द पंखों को पूरी तरह से खोल उस लम्हे
को जी लेना चाहता है.
चार दिन से इस अवसर को पाने की इच्छा तीव्र से तीव्रत्तम होती जा रही थी लेकिन कुछ न कुछ अनहोनी हमारी इस इच्छा को धूल चटा देती. हम थे कि बस कोशिश में लगे थे क्योंकि सुना है कि कोशिश एक आशा की किरण दिखा ही देती है. हालांकि एकांत कुछ घण्टों का ही है पर है तो सही.
हे मेरे व्याकुल मन , कम समय में बहुत अधिक खुशी पानी हो तो जी जान से लग जाओ. मेरा मन आनन्द के पलों को जितना समेटने की कोशिश कर रहा था , उतना ही वह हाथ से फिसलता जा रहा था. मुट्टी में भरने से बार बार रेत की तरह निकलती जा खुशी को, अलौकिक आनन्द को कैसा रोका जाए. सोचा कि क्यों न हथेली को खोल कर रखूँ. खुली हथेली पर खुशी खुली साँस ले पाएगी.
रिश्तों के साथ भी तो ऐसा ही होता है. जितना हम रिश्तों को बाँधना चाहते हैं , उतना ही वे हमारे दिलों के बन्धन को तोड़ देना चाहते हैं.
को जी लेना चाहता है.
चार दिन से इस अवसर को पाने की इच्छा तीव्र से तीव्रत्तम होती जा रही थी लेकिन कुछ न कुछ अनहोनी हमारी इस इच्छा को धूल चटा देती. हम थे कि बस कोशिश में लगे थे क्योंकि सुना है कि कोशिश एक आशा की किरण दिखा ही देती है. हालांकि एकांत कुछ घण्टों का ही है पर है तो सही.
हे मेरे व्याकुल मन , कम समय में बहुत अधिक खुशी पानी हो तो जी जान से लग जाओ. मेरा मन आनन्द के पलों को जितना समेटने की कोशिश कर रहा था , उतना ही वह हाथ से फिसलता जा रहा था. मुट्टी में भरने से बार बार रेत की तरह निकलती जा खुशी को, अलौकिक आनन्द को कैसा रोका जाए. सोचा कि क्यों न हथेली को खोल कर रखूँ. खुली हथेली पर खुशी खुली साँस ले पाएगी.
रिश्तों के साथ भी तो ऐसा ही होता है. जितना हम रिश्तों को बाँधना चाहते हैं , उतना ही वे हमारे दिलों के बन्धन को तोड़ देना चाहते हैं.
खुली हथेली में रखे पानी की थिरकन एहसास कराती है कि जब तक हथेली खुली है , मैं हूँ, हथेली के बन्द होते ही मेरा आसितत्त्व नहीं रहेगा.
5 टिप्पणियां:
सुंदर व सरल अभिव्यक्ति!!
यह सच है कि तनहाई का आनंद अलग ही होता है व इसका आनंद उठाना हर कोई नही जानता!!
कभी कभी एकांत में अपने आप में खो जाना अलौकिक आनन्द की अनुभूति देता है.
सही कहा आपने !
very true , time spent with ourselfs is the best time
कभी कभी एकांत में अपने आप में खो जाना अलौकिक आनन्द की अनुभूति देता है.
--सत्य वचन. प्रयास करके ऐसा वक्त एक नियमित अन्तराल पर निकालते रहने चाहिये. आत्म चिंतन, आत्मानुभूति, आत्म विश्लेषण अति आवश्यक है.
खुली हथेली में रखे पानी की थिरकन एहसास कराती है कि जब तक हथेली खुली है , मैं हूँ, हथेली के बन्द होते ही मेरा आसितत्त्व नहीं रहेगा.
बड़ी सच्ची बात कही आपने- दी , और अपनी कहूं कि जब कभी अकेले समय बिताने का अवसर मिलता है तो मै तो ……सन्नाटा बहुत इन्जोय करती हूं ।
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