मानव का "मैं" अहम् के रूप में --
मानव का "मैं" करुणा के रूप में ---
मैं झरना झर झर बहूँ ।
अमृत की रसधार बनूँ ।।
मैं तृष्णा को शान्त करूँ।
प्रेम बनूँ औ' हिय में बसूँ।।
मैं मलयापवन सी मस्त चलूँ।
मानव मन में सुगन्ध भरूँ।।
मैं सबका सन्ताप ग्रहूँ।
हिय के सब का शूल गहूँ।।
मैं ग्यान की ऊँची लपट बनूँ।
अवनि पर प्रतिपल जलती रहूँ।।
मैं विश्व की ऐसी शक्ति बनूँ।
मानव मन को करूणा से भरूँ।।
रियाद में शाम-ए-अवध के मंच पर मैंने पहली बार अपनी दोनों कविताएँ पढ़ी
मैं ही मैं हूँ इस सृष्टि में,
और न कोई इस दृष्टि में,
मैं ज्ञानी हूँ सब अज्ञानी
सादी सच्ची मेरी ही बानी .
मैं ज्ञानी हूँ सब अज्ञानी
सादी सच्ची मेरी ही बानी .
ऐसा भाव किसी का पाकर,
मन सोचे यह रह रहकर,
मानव मन क्यों समझ न पाए,
क्षण भंगुर हम तन ये लाए।।
मैं सुन्दर हूँ और न कोई,
मैं सर्वगुण और न कोई,
मैंने पाया सब कुछ उत्तम,
मेरा यह सब तेरा क्या है ।।
मेरा यह सब तेरा क्या है ।।
ऐसा भाव किसी का पाकर,
मन सोचे यह रह रहकर,
मानव मन क्यों समझ न पाए,
क्षण भंगुर यह तन हम लाए।।
मानव का "मैं" करुणा के रूप में ---
मैं झरना झर झर बहूँ ।
अमृत की रसधार बनूँ ।।
मैं तृष्णा को शान्त करूँ।
प्रेम बनूँ औ' हिय में बसूँ।।
मैं मलयापवन सी मस्त चलूँ।
मानव मन में सुगन्ध भरूँ।।
मैं सबका सन्ताप ग्रहूँ।
हिय के सब का शूल गहूँ।।
मैं ग्यान की ऊँची लपट बनूँ।
अवनि पर प्रतिपल जलती रहूँ।।
मैं विश्व की ऐसी शक्ति बनूँ।
मानव मन को करूणा से भरूँ।।
रियाद में शाम-ए-अवध के मंच पर मैंने पहली बार अपनी दोनों कविताएँ पढ़ी
12 टिप्पणियां:
very nice, u r really a good writer. congrats n keep it up.
आदरणीया मीनाक्षी जी
नमस्कार !
आपके ब्लॉग समुद्र में डुबकियां लगाते हुए मिले इस पोस्ट रूपी मोती को पा'कर मन प्रसन्न हो गया ।
बहुत सुंदर कविताएं हैं ।
प्रथम कविता ने अधिक प्रभावित किया मुझे …
मानव मन को करुणा से भरूं …
आपकी सेवा में मेरी कुछ पंक्तियां सादर समर्पित हैं -
तू यहां आया है गर… तो नाम कुछ करता ही जा !
याद रक्खे ये जहां… तू काम वो करता ही जा !
हो ज़रा औरों को… तेरे होने का एहसास भी ,
भर सके ख़ुशियों से गर… दामन हर इक भरता ही जा !!
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
man ke dono bhaavon ka sunder chitran...
सुंदर भावों से भरी मन को छूने वाली रचनाएँ!
बहुत ही सुंदर भावाभिवय्क्ति....
दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर
यही समझ जाए तो क्या बात है....
दोनों रचनाएं सुंदर...
आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया पुराने पन्नों पर भी नज़र डाली...
कल 21/सितंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
waah kya baat hai...bahut khoob
बहुत बढ़िया....
Sunder rachna .....
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