Translate

गुरुवार, 30 अगस्त 2007

मेरी कलम की पीड़ा


कल शाम कुछ ऐसा घटित हुआ कि मन पीड़ा से कराह उठा। मेरी पीड़ा को अनुभव कर मेरी कलम चीत्कार कर उठी कि उसे अपनी उंगलियाँ रूपी बाँहों में थाम लूँ। कहने लगी कि हम दोनों एक दूसरे को सहारा देंगे क्योंकि अपनी अनुभूति को अभिवयक्त करना ही एक मात्र उपाय है जो अन्तर्मन की पीड़ा को शान्त कर सकता है।
मैंने अपनी कलम को देखा , ऐसा लगा कि वही मेरी एकमात्र सखी है। हम दोनो एक ही पथ पर चलने वाले दो मूक मित्र हैं। अपने मौन को मुखरित करके अपनी पीड़ा ही नहीं , दूसरों की पीड़ा को भी कम कर सकते हैं , समझ सकते हैं।
बहुत दिनों बाद मैंने अपनी प्राणहीन कलम की आँखों में फिर से जीने की इच्छा देखी। नन्हीं नन्हीं बाँहों को मेरी ओर फैला कर आँखों में अटके अश्रु कणों को ढुलका दिया। थरथराते होंठ कुछ कहने को मचल रहे थे । मुझसे रहा न गया और उसे अपनी अंजलि रूपी गोद में भर लिया। बहुत दिनों के बाद बिछुड़े साथी फिर से मिल गए थे। अपनी अनुभूति को मौन भाव से अभिव्यक्त करने लगे।

हे प्राण मेरे, आँखें  खोलो,
सृष्टि को रूप नया दे दो।
उठो उठो हे सोए प्राण ,
आँखें मूँदें रहो न प्राण।

मानवता का संहार है होता,
वसुधा मन पीड़ा से रोता।
कब तक निश्चल पड़े पड़े,
देखोगे कब तक खड़े खड़े।

कृतिकार के मन का रुदन सुनो,
विश्व की करुण पुकार सुनो।
उठो उठो हे सोए प्राण ,
आँखें मूँदें रहो न प्राण।

हे प्राण मेरे, आँखें खोलो,
सृष्टि को रूप नया दे दो।
उठो उठो हे सोए प्राण ,
सृष्टि को रूप नया दे दो।।
"मीनाक्षी धन्वन्तरि"

7 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 25/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति ... सकारात्मक सोच अच्छी लगी

mridula pradhan ने कहा…

kya baat hai......

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

वसुधा मन पीड़ा से रोता।
कब तक निश्चल पड़े पड़े,
देखोगे कब तक खड़े खड़े।

मर्मस्पर्शी रचना...
सादर बधाई...

Satish Saxena ने कहा…

मार्मिक पोस्ट ....
कवि ह्रदय से निकली बेहतरीन अभिव्यक्ति !
आभार आपका !

Mamta Bajpai ने कहा…

बहुत ही दिल से लिखा है मीनाक्षी जी
आपकी बात ...कलम और आप एक दूसरे का सहारा हैं बिलकुल सत्य है मुझे ऐसा लगा मानो मेरे शब्द आपकी कलम से निकले हों भाव पूर्ण रचना के लिए बधाई मेरे ब्लॉग पर आपका
स्वागत है

सागर ने कहा…

bahad marmik rachna....